आश्वासन में सिमटी राउरकेला स्वास्थ्य जिला की मांग
परिसीमा एवं कानून व्यवस्था की दृष्टि से सुंदरगढ़ जिले के अंदर दो पुलिस जिला दो आबकारी जिला दो कृषि जिला का गठन किया गया है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : परिसीमा एवं कानून व्यवस्था की दृष्टि से सुंदरगढ़ जिले के अंदर दो पुलिस जिला, दो आबकारी जिला, दो कृषि जिला का गठन किया गया है। इसी तरह स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए राउरकेला स्वास्थ्य जिला के गठन की मांग लंबे समय से की जा रही थी। इसके लिए आश्वासन भी मिला पर इस दिशा में काम नहीं हुआ। केवल राउरकेला सरकारी अस्पताल पर राउरकेला ही नहीं बल्कि सीमावर्ती क्षेत्र बिसरा, कोइड़ा, नुआगांव, कुआरमुंडा, लाठीकटा, बणई, लहुणीपाड़ा, राजगांगपुर, गुरुंडिया इलाके के लोग निर्भर हैं। सीमावर्ती झारखंड के पश्चिम सिंहभूम और सिमडेगा जिले के मरीज भी यहां इलाज के लिए आ रहे हैं। यहां सुविधा बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य जिला बनाने के लिए विभिन्न संगठन आवाज उठाते रहे हैं।
राउरकेला को स्वास्थ्य जिला घोषित करने के लिए विभिन्न संगठनों की ओर से आंदोलन किया गया पर परिणाम कुछ नहीं आ रहा है। आरजीएच के ओपीडी में प्रत्येक दिन एक हजार से अधिक मरीज इलाज कराने के लिए आ रहे हैं। चार सौ से अधिक मरीजों का भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। यहां रोगी की संख्या के अनुपात में चिकित्सक व चिकित्सा कर्मियों की कमी है। इस क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति भी ऐसी ही है। बिसरा, गुरुंडिया, लाठीकटा, कुआरमुंडा, बणई, कोइड़ा आदि ब्लॉक से सुंदरगढ़ जिला अस्पताल की दूरी सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर तक है। वहां जाकर इलाज कराना लोगों के लिए मुश्किल काम है। इस क्षेत्र के अस्पतालों में चिकित्सा अधिकारियों का जाना संभव नहीं है। सुंदरगढ़ जिले के प्रमुख अस्पताल राउरकेला सरकारी अस्पताल में बेड संख्या 400 करने की घोषणा की गई है पर यह कागज कलम तक ही सीमित है। अब तक इसकी क्षमता 276 ही है जबकि 380 से 400 बेड में मरीजों का नियमित इलाज हो रहा है। बेड नहीं मिलने पर मरीजों को जमीन पर लिटाकर इलाज किया जाता है। इसमें काफी खर्च आ रहा है एवं इसका 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा डीएमएफ से दिया जा रहा है। यहां नियुक्त 55 चिकित्सकों में 17 डीएमएफ से नियुक्त हैं। लंबी मांग के बाद इस अस्पताल में सीटी स्कैन एवं डायलिसिस की सेवा दी जा रही है। एक्स-रे, अल्ट्रा साउंड, ईसीजी, केमो थैरेपी की सुविधा भी मिल रही है। यहां कार्यरत कर्मचारियों की तुलना में क्वार्टर भी नहीं हैं जिस कारण उन्हें बाहर रहना पड़ रहा है। 55 चिकित्सकों के लिए छह क्वार्टर एवं 200 कर्मचारियों के लिए 10 क्वार्टर हैं।