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दिलीप पर सस्पेंस बरकरार, शारदा को सुप्रीमो का हर फैसला स्वीकार

दिलीप राय के बीजू जनता दल में शामिल होने की राह में सस्पेंस आ गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 09:38 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 09:38 PM (IST)
दिलीप पर सस्पेंस बरकरार, शारदा को सुप्रीमो का हर फैसला स्वीकार
दिलीप पर सस्पेंस बरकरार, शारदा को सुप्रीमो का हर फैसला स्वीकार

जागरण संवाददाता, राउरकेला : दिलीप राय के बीजू जनता दल में शामिल होने की राह में सस्पेंस आ गया है। शनिवार को भुवनेश्वर में नवीन निवास में मुख्यमंत्री तथा बीजद सुप्रीमो नवीन पटनायक से दिलीप राय की हुई मुलाकात के बाद संकेत मिले थे कि रविवार को राय बीजद में शामिल हो सकते हैं। लेकिन पूरे दिन सस्पेंस बना रहा और शाम तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। इधर, राउरकेला विकास प्राधिकरण के चेयरमैन तथा पूर्व मंत्री शारदा नायक ने भुवनेश्वर में रविवार को नवीन निवास में बीजद सुप्रीमो से मुलाकात की। वहां से लौटने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि दिलीप राय के बीजद में शामिल होने से उन्हें किसी तरह की आपत्ति नहीं। उन्होंने कहा कि दल के मुखिया नवीन पटनायक हैं और वे जो भी फैसला करेंगे उसके साथ हम सभी खड़े रहेंगे। राय के बीजद में शामिल होने से किसी तरह की प्रतिस्पर्धा से भी उन्होंने इनकार किया और इशारे में कहा कि 10 से बड़ा अंक 11 होता है तो दल में अगर कोई आते हैं तो दल मजबूत होगा। सुप्रीमो का निर्देश होने पर साथ मिलकर काम करेंगे और दल को मजबूत करेंगे। नायक ने कहा कि वह हमेशा से दल व माटी के लिए काम करते रहे हैं। दल के नेता नवीन पटनायक है इसमें कहीं से कोई दो राय नहीं है। उनका हर फैसला सर्वोपरि होगा। दिलीप राय व शारदा नायक में कौन मजबूत होगा सवाल पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि दल मजबूत होगा और हमारे नेता नवीन पटनायक मजबूत होंगे। टिकट मिलने के सवाल पर भी उन्होंने दोहराया कि जो भी बीजद प्रमुख तय कर देंगे वे उस फैसले का सम्मान करेंगे। इधर दिलीप राय अब तक मीडिया के सामने नहीं आये हैं।

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शहर में हर आम-ओ-खास की जुबां पर दिलीप राय-शारदा नायक: भुवनेश्वर स्थित नवीन निवास के बाहर और अंदर चल रही हलचल पर राउरकेला की नजर है। शहर के राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा केंद्र में हैं। राउरकेला की राजनीति में दो बड़ी शख्सियत पर लोग तर्क-वितर्क कर रहे हैं। हालांकि कुछ भी स्पष्ट नहीं होने के कारण सभी की नजरें दोनों पर टिकी हुई हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे यह राजनीतिक समीकरण और ज्यादा जटिल बनता जा रहा है।


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