आइजीएच न बन सका सुपर स्पेशियलिटी
राउरकेला इस्पात संयंत्र अधीनस्थ इस्पात जनरल अस्पताल (आइजीएच) को
जागरण संवाददाता, राउरकेला : राउरकेला इस्पात संयंत्र अधीनस्थ इस्पात जनरल अस्पताल (आइजीएच) को सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले आम चुनाव से पहले एवं चुनाव जीतने के बाद भी इस संबंध में घोषणा की थी, पर इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति अब तक नहीं हुई है। यहां सुपर स्पेशियलिटी सुविधा नहीं होने के कारण मरीजों को भुवनेश्वर तथा अन्य शहरों में भेजना पड़ रहा है। इलाज में देरी के कारण गंभीर रोगी की जान भी चली जा रही है। इस्पात जनरल अस्पताल केवल पश्चिम ओडिशा ही नहीं बल्कि झारखंड और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जिलों के लिए जीवन रेखा माना जाता है। गंभीर हालत में मरीज को इस अस्पताल में इसलिए भेजा जाता है क्योंकि यहां इलाज के लिए आवश्यक सुविधाएं हैं। सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा सुविधा के अभाव में ही मरीजों को बड़े शहरों में भेजना पड़ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अप्रैल 2015 को राउरकेला के हवाई पट्टी मैदान में जनसभा में इस्पात जनरल अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल व मेडिकल कॉलेज का रूप देने की घोषणा की थी। इस अस्पताल में न्यूरोलॉजी, न्यूरो-सर्जरी, कार्डियोलॉजी, कार्डियो सर्जरी, नेफ्रोलॉजी आदि विभागों में छह सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएं स्थापित करने की योजना है। यहां अब तक केवल बर्न और प्लास्टिक सुपर स्पेशियलिटी सर्जरी यूनिट का ही निर्माण कार्य शुरू हो पाया है। अस्पताल के निर्माण के लिए केंद्रीय पीएसयू एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर भी हुआ है।
गत वर्ष मार्च माह में सलाहकार एचएलएल इंफ्रा टेक सर्विसेज लिमिटेड (एचईटीईएस) ने आइजीएच के उन्नयन के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के दो सेट प्रस्तुत किए थे। इसमें इसका अनुमानित लागत 213.56 करोड़ रुपये बताया गया था। इसमें शैक्षणिक और अनुसंधान ब्लॉक और सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में 156 बेड शामिल किया गया था, पर काम में खास प्रगति नजर नहीं आ रही है।
एक्सपर्ट की राय
पांच सौ बेड वाले आइजीएच में सुपर स्पेशियलिटी सुविधा मिलने से गंभीर मरीजों को भुवनेश्वर एवं अन्य शहरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ती। कम खर्च में सुपर स्पेशियलिटी इलाज संभव हो पाती। इस अस्पताल में सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सकों की नियुक्ति करने के साथ साथ यहां के चिकित्सकों को भी उस स्तर का प्रशिक्षण देने की जरूरत है। राउरकेला ही नहीं बल्कि झारखंड, पश्चिम ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ वासियों को शीघ्र यह सुविधा दिलाने के लिए राज्य व केंद्र सरकार को पहल करनी चाहिए।
- डा. आरबी महापात्र, पूर्व सहायक निदेशक, आइजीएच।