सुंदरगढ़ विधायक कुसुम टेटे पर गहराया संकट
सुंदरगढ़ विधायक कुसुम टेटे पर संकट के बादल गहराते नजर आ रहे हैं। उनके निर्वाचन को रद करने की मांग बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस की तरफ से की गई है।
संवाद सूत्र, सुंदरगढ़ : सुंदरगढ़ विधायक कुसुम टेटे पर संकट के बादल गहराते नजर आ रहे हैं। उनके निर्वाचन को रद करने की मांग बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस की तरफ से की गई है। आम चुनाव में प्रत्याशी के रूप में खड़े होते समय एक साथ दो लाभकारी पदों पर बने रहना तथा विधायक के रूप में चुने जाने के बाद भी दो पदों से इस्तीफा नहीं देने का आरोप है। संविधान के अनुच्छेद 192 (2) के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक समय में दो लाभकारी पदों पर आसीन नहीं हो सकता।
सुंदरगढ़ के जगदीप प्रताप देव ने जनवरी 2020 में इस मामले में ओडिशा के राज्यपाल को पत्र लिख कर मामले की जांच करने तथा आवश्यक संवैधानिक कदम उठाने का अनुरोध किया था। राज्यपाल द्वारा मुख्य निर्वाचन आयोग को मामले की जांच का आदेश दिया गया था। निर्वाचन आयोग द्वारा ओडिशा के मुख्य सचिव एवं सुंदरगढ़ जिलाधीश सह जिला निर्वाचन अधिकारी को आवश्यक तथ्य मुहैया करने को कहा गया था। जिलाधीश ने अपनी जांच रिपोर्ट भेज दी है। मुख्य निर्वाचन आयोग का निर्णय आना बाकी है।
उल्लेखनीय है कि कुसुम टेटे ने बीजू जनता दल के प्रत्याशी के तौर पर साल 2014 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। तब कांग्रेस प्रत्याशी जोगेश सिंह से पराजित हुई थीं। बाद में उन्हें नवंबर 2017 में स्वतंत्र विकास परिषद (एसडीसी) का उपाध्यक्ष बनाया गया था। फरवरी 2019 में उन्हें परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वर्ष 2019 के आम चुनाव में उन्हें बीजद का टिकट नहीं मिला। इससे क्षुब्ध टेटे ने बीजद से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया। भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर अप्रैल 2019 में उन्होंने चुनाव लड़ा तथा विजय हासिल कर विधायक बन गईं।
क्या है मामला : शिकायतकर्ता जगदीप प्रताप देव के अनुसार, कुसुम टेने ने एसडीसी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए बिना चुनाव लड़ा था तथा विधायक बनने के बाद भी इस पद से इस्तीफा नहीं दिया। निर्वाचन के समय दाखिल किए गए अपने शपथपत्र में भी उन्होंने एसडीसी अध्यक्ष होने का जिक्र नहीं किया था। 28 अगस्त 2019 को विनय टोप्पो के एसडीसी अध्यक्ष बनने तक वह अध्यक्ष पद पर बनी रही थीं। इस तरह उन्होंने एक साथ दो लाभ के पदों पर रहते हुए अनुच्छेद 192 (2) का उल्लंघन किया है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगे गए तथ्यों से भी इस बात की पुष्टि होती है। टेटे ने एसडीसी उपाध्यक्ष से अध्यक्ष बनने के बाद उपाध्यक्ष पद से भी इस्तीफा नहीं दिया था। इस तरह विधायक बनने के काफी समय बाद तक वह एक साथ तीन लाभ के पदों पर आसीन रहीं। कोट जांच में सारे तथ्य सामने आएंगे तथा निर्वाचन आयोग को निर्णय लेना होगा। आरटीआइ द्वारा मांगे गए तथ्य इस बात को प्रमाणित करते है कि कुसुम टेटे ने अनुच्छेद 192 का उल्लंघन किया है । इसलिए उनकी विधानसभा सदस्यता को रद किया जाना चाहिए। इससे पहले की आयोग उन्हें विधायक के पद से निरस्त करे। अच्छा होगा कि टेटे नैतिकता के नाते स्वयं विधायक पद से इस्तीफा दे दें।
जोगेश सिह, पूर्व विधायक, सुंदरगढ़।