खनिज, श्रमिक से समृद्ध सुंदरगढ़ सूची में नहीं
राज्य सरकार ने सूबे में चार औद्योगिक शहर विकसित करने का निर्णय लिया है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : राज्य सरकार ने सूबे में चार औद्योगिक शहर विकसित करने का निर्णय लिया है। ओडिशा के कलिगनगर, पारादीप, झारसुगुड़ा और अनुगुल-ढेंकनाल रीजन में औद्योगिक शहर स्थापित किए जाएंगे। इस योजना का मुख्य मकसद औद्योगिक संस्थानों में काम करने वाले लोगों को समायोजित करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करना है। लेकिन इस योजना से सुंदरगढ़ जिले के औद्योगिक क्षेत्रों को बाहर रखा गया है जिससे यहां के श्रमिकों के बीच नाराजगी है। सुंदरगढ़ जिले में राज्य के अन्य जिलों की तुलना में अधिक पंजीकृत औद्योगिक श्रमिक होने के बावजूद जिले को उपेक्षित किया गया है।
ब्रिटिश शासन के दौरान ही सुंदरगढ़ जिले में खनन और उद्योग पनप चुका था। बीरमित्रपुर स्थित बिसरा स्टोन लाइम एंड कंपनी द्वारा चूना पत्थर का उत्खनन के साथ चूने के भटठों को स्थापित करके पत्थर का चूना (स्टोन लाइम) बना रही थी। बीएसएल के बाद, सुंदरगढ़ जिले के राजगांगपुर में एक सीमेंट कारखाना और राउरकेला में एक स्टील प्लांट स्थापित किया गया। राज्य सरकार ने बाद में जिले में तीन औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किए। राउरकेला, कलुंगा और राजगांगपुर में औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने के बाद उद्यमियों को शेड व भूखंड उपलब्ध कराने के लिए यहां पर व्यवस्था की गई थी। तीनों औद्योगिक क्षेत्रों में सैकड़ों कारखाने बनाए गए। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार मिला। हालांकि बाद में इसे औद्योगिक क्षेत्र घोषित नहीं किया गया। लेकिन इसके बावजूद सुंदरगढ़ जिले के कुआरमुंडा, लहुनीपाड़ा, बणई, कांसबहल, कुतरा और राजगांगपुर क्षेत्रों में स्पंज आयरन कारखानों, इंडक्शन फर्नेस, फायर ब्रिक्स और बड़ी क्रशर इकाइयों सहित कई कल-कारखाने स्थापित हो गए थे। आरएसपी, एलएंडटी और डालमिया सीमेंट कारखाना के मजदूरों को छोड़कर जिले में 50,000 से अधिक पंजीकृत श्रमिक और कर्मचारी हैं। लेकिन औद्योगिक शहर नहीं हो पाने के कारण अभी तक इन निजी संयंत्रों के श्रमिकों और कर्मचारियों को समायोजित नहीं किया सका है। इसलिए इन सभी उद्योगों में काम करने वाले लोग पलायन करने को विवश होते हैं।
कुआरमुंडा में स्थित पांच कारखानों की बसें हर दिन राउरकेला आकर श्रमिक और कर्मचारियों को कारखाना लेकर जाती तथा उन्हें वापस घर भी छोड़ती है। कलुंगा औद्योगिक क्षेत्र, बिरकेरा और कांसबहल के कारखानों के मालिक भी हर दिन श्रमिकों के लिए बसें चलाते हैं। यहां तक कि बणई व राजामुंडा के कुछ कारखाना मालिकों ने श्रमिकों के लिए राउरकेला से आने-जाने की विशेष व्यवस्था की है। कुआरमुंडा की आधुनिक मेटालिक्स जब चलती थी तो उसकी दस बसें राउरकेला शहर मजदूरों को लाने ले जाने के लिए थीं। जिले के भीतरी इलाकों में शामिल टाइसर क्षेत्र से भी बसें श्रमिकों को लेने के लिए हर दिन राउरकेला आती हैं। आरएसपी, एलएंडटी और डालमिया सीमेंट को छोड़कर जिले में किसी अन्य औद्योगिक इकाई ने अपने श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए औद्योगिक शहर या उनके प्रवास के लिए आवास और अन्य सुविधाएं प्रदान नहीं की हैं। कारखाना मालिक कुछ विशेष कर्मचारियों के लिए वाहनों की व्यवस्था तो कर रहे हैं, जबकि हजारों श्रमिक कारखाने के पास जैसे तैसे रहने के लिए मजबूर हैं।
कई स्थानों पर रहने लायक परिवेश, बच्चों की शिक्षा और बुनियादी सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण श्रमिकों और कर्मचारियों ज्यादा दिनों तक काम नहीं कर पाते है। नतीजतन, श्रमिक और उद्योग दोनों को नुकसान पहुंच रहा है।
खनिज संपन्न सुंदरगढ़ जिले में उद्योग का भविष्य उज्ज्वल है, क्योंकि यह लौह अयस्क, चूना पत्थर, डोलोमाइट और कोयला जैसे खनिजों से समृद्ध है। सुंदरगढ़ जिले को कभी राज्य की औद्योगिक राजधानी कहा जाता था। सुंदरगढ़ जिले में अभी योजना से आच्छादित क्षेत्रों की तुलना में अधिक उद्योग और श्रमिक हैं। इन सब को देखते हुए, जिले के कुआरमुंडा, वेदव्यास, राजगांगपुर और राजामुंडा में औद्योगिक शहर की स्थापना आवश्यक हो पड़ी हैं। लेकिन औद्योगिक शहर की योजना में सुंदरगढ़ जिले का नाम न होना सभी को आश्चर्य में डाल दिया है। इसे जिले के प्रति राज्य सरकार की एक और लापरवाही माना जा रहा है।