इस्पात नगरी में लावारिस कुत्तों पर लगाम नहीं
महानगर निगम क्षेत्र में लावारिश कुत्तों का बंध्याकरण के बावजूद संख्या पर अंकुश नहीं लग पाया है। विभिन्न क्षेत्रों में बीस हजार से अधिक लावारिस कुत्ते घूम रहे हैं। चौक- चौराहों से लेकर गली मुहल्लों में इनका जगह जगह जमावड़ा रहता है। रात के समय रास्ते से गुजरने वालों का सामना इनसे होता है। कुत्ता काट ले या नोच ले पांच इंजेक्शन तो लगाना ही पड़ता है। डेली मार्केट तथा मुख्य मार्ग इलाके में सप्ताह भर के अंदर 50 से अधिक लोग इसके शिकार हो चुके है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : महानगर निगम क्षेत्र में लावारिस कुत्तों का बंध्याकरण करने के बावजूद संख्या पर अंकुश नहीं लग पाया है। एक अनुमान के मुताबिक शहर के विभिन्न हिस्सों में बीस हजार से अधिक लावारिस कुत्ते घूम रहे हैं। चौक- चौराहों से लेकर गली मुहल्लों में इनका जगह जगह जमावड़ा रहता है। रात के समय रास्ते से गुजरने वालों का सामना इनसे होता है। कुत्ता काट ले या नोच ले, पांच इंजेक्शन तो लगाना ही पड़ता है। डेली मार्केट तथा मुख्य मार्ग इलाके में सप्ताह भर के अंदर 50 से अधिक लोग इसके शिकार हो चुके है।
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सरकारी अस्पताल में इंजेक्शन उपलब्ध :
राउरकेला सरकारी अस्पताल में कुत्ता काटने के इंजेक्शन उपलब्ध हैं। अस्पताल के आउट डोर में चिकित्सक की सलाह पर कार्ड बनता है और मुफ्त में एंटी रेबीज इंजेक्शन उपलब्ध होता है। अस्पताल में कुत्ता काटने पर पहले, तीसरे, सातवें, 14वें व 30वें दिन इंजेक्शन लेना पड़ता है। अस्पातल में यह मुफ्त मिलता है जबकि मेडिकल स्टोर में एंटी रेबीज इंजेक्शन 350 से 400 रुपये तक उपलब्ध हैं। एक व्यक्ति को इस पर डेढ़ से दो हजार रुपये तक खर्च करना पड़ता हैं।
कुत्ता काटे तो क्या करना चाहिए : उत्कलमणि होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पूर्व प्रिसिपल डा. जीआर गिरी ने बताया कि कुत्ता काट ले या नाखून लगा दे तो उस स्थान को साबून व साफ पानी से ठीक तरह से धो लेना चाहिए। यदि घाव बड़ा हो तो भी उसकी सिलाई 72 घंटे के बाद ही करनी चाहिए। पालतू कुत्ता जिसे वैक्सीन दिया गया है यदि वह काटे या नाखून लगाए तो तीन इंजेक्शन लेना पड़ता है और अगर लावारिश कुत्ता काटे या नाखून लगाए तो पांच इंजेक्शन लेना पड़ता है। क्योंकि कुत्ते में राबडो वायरस होता है। जब कुत्ता के काटने पर नाभी में 14 इंजेक्शन दिए जाते थे। अब इनकी संख्या कम हुई है। जिसमें इंफेक्शन का खतरा रहता था पर अब नियमित अंतराल में इंजेक्शन लेने से साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं होता है। इंजेक्शन नहीं लेने पर वायरस का संक्रमण बढ़ जाता है। हाइड्रोफोविया का स्टेज आ जाता है इसके बाद इसका इलाज संभव नहीं हो पाता। रोगी की मौत हो जाती है।