सेल श्रमिकों के वेतन समझौते पर हस्ताक्षर
भारतीय इस्पात प्राधिकरण के श्रमिक व कर्मचारियों के वेतन समझौता के लिए हुई एनजेसीएस की बैठक में गुरुवार की रात को आखिर हस्ताक्षर करा लिया गया।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : भारतीय इस्पात प्राधिकरण के श्रमिक व कर्मचारियों के वेतन समझौता के लिए हुई एनजेसीएस की बैठक में गुरुवार की रात को आखिर हस्ताक्षर करा लिया गया। पर्क्स को लेकर बीएमएस एवं सीटू ने सहमति न देकर इसका विरोध किया। वहीं, इंटक, एटक व एचएमएस ने 26.5 प्रतिशत पर्क्स पर सहमति देकर इस पर प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर कर दिया है। इस समझौते का असर 15 नवंबर को राउरकेला इस्पात संयंत्र में मान्यता प्राप्त यूनियन के चुनाव में भी दिख सकता है।
सीटू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विष्णु महंती ने बताया कि बैठक में अधिकतर श्रमिक संगठन 30 प्रतिशत पर्क्स के पक्ष में थे पर इंटक आरंभ से ही 25 प्रतिशत पर्क्स को लेकर प्रबंधन से चर्चा कर रहा था। इसे अन्य श्रमिक संगठनों ने ठुकरा दिया था। काफी चर्चा के बाद सभी संगठन 28 प्रतिशत पर्क्स देने के प्रस्ताव पर राजी हुए थे पर प्रबंधन इस पर सहमत नहीं हुआ। अंत में इंटक के नेता डा. संजीव रेड्डी ने 26.5 प्रतिशत का प्रस्ताव रखा जिसे आइएनटीयूसी व एआइटीयूसी तथा हिन्द मजदूर सभा ने सहमति दे दी। सीटू की ओर से इसका विरोध किया जाता रहा। विष्णु महंती ने बताया कि वेतन समझौता में पांच साल देरी होने के कारण सहमति के बजाय बहुमत के आधार पर समझौता कराने में प्रबंधन सफल रहा। न्यूनतम निश्चित सुविधा (एमजीबी) पर सभी संगठन 13 प्रतिशत पर राजी थे। फ्रिज बेनिफिट पर्क्स के प्रसंग पर हमेशा बैठक होती थी एवं इसी को लेकर विवाद था। आरंभ में 35 प्रतिशत पर्क्स मांगा गया था अंत में 28 प्रतिशत तक आये थे। बीएमएस की ओर से हिमांशु बल ने कहा कि बैठक से पहले सभी यूनियनों ने 28 प्रतिशत पर्क्स की मांग करने पर चर्चा की थी और कहा गया था कि इससे कम में कोई भी यूनियन हस्ताक्षर नहीं करेंगे पर अंतिम समय में इंटक, एचएमएस, एटक के प्रतिनिधियों ने प्रबंधन के 26.5 प्रतिशत पर्क्स के प्रस्ताव पर सहमति दे दी। ऐसा कर यूनियनों ने श्रमिक व कर्मचारियों के साथ विश्वासघात किया है। इसे लेकर बीएमएस की ओर से लगातार आंदोलन जारी रखा जाएगा। राउरकेला श्रमिक संघ के महासचिव प्रशांत बेहरा ने कहा है कि सेल प्रबंधन की ओर से 26.5 प्रतिशत पर्क्स देने का प्रस्ताव दिया गया जिस पर तीन संगठन राजी हो गए। यह श्रमिक व कर्मचारियों के हित में है एवं इसे लेकर उनमें खुशी है। समझौता को लेकर श्रमिक कितना खुश हैं यह 15 नवंबर को होने वाले मान्यता प्राप्त यूनियन चुनाव में दिखेगा।