आरओपी शिविर में 152 नवजातों की हुई जांच
बच्चों के आंखों की रोशनी की समस्या को दूर करने के लिए सुंदरगढ़ जिला अस्पताल में रेटिनोपैथी प्री-मेच्योर (आरओपी) की जांच की जा रही है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला: बच्चों के आंखों की रोशनी की समस्या को दूर करने के लिए सुंदरगढ़ जिला अस्पताल में रेटिनोपैथी प्री-मेच्योर (आरओपी) की जांच की जा रही है। फरवरी से अब तक चार शिविरों में आरओपी के लिए 152 बच्चों की स्क्रीनिग की गई है। आरओपी स्क्रीनिग शिविर में प्रारंभिक अवस्था में 16 शिशुओं के नेत्र विकार की पहचान कर निश्शुल्क इलाज किया गया। शिशुओं में अंधेपन की रोकथाम और उपचार के लिए सुंदरगढ़ जिला अस्पताल में इसकी सुविधा मुहैया की गई है। यहां चिन्हित नवजातों को भुवनेश्वर एलवी प्रसाद आइ इंस्टीटयूट भेजा जाता है। जहां नवजात को लेजर टेक्नोलाजी के तहत अंधेपन से बचाया जाता है। आमतौर पर प्री मेच्योर शिशुओं में रेटिनोपैथी ऑफ प्री मेच्योरिटी के कारण अंधापन आ जाता है। इससे आंख की रेटिना का पर्दा खिच जाता है। इससे रेटिना पर दृश्य बनना बंद हो जाता है। यह बीमारी अधिकतर 6 से 7 माह में पैदा होने वाले शिशुओं में होती है। गर्भस्थ शिशु के शरीर में ऑक्सीजन की अधिकता से ब्लड वेसेल्स अधिक बन जाते है। आरओपी में असामान्य रक्त वाहिकाएं बढ़ती है और रेटिना भर जाता है। जो आंखों में पीछे की ओर होता है। ये असामान्य रक्त वाहिकाओं को नाजुक कर देता है और रिसाव शुरू हो जाता है।