Move to Jagran APP

आम बजट में रेल बजट का विलय नापसंद

जागरण संवाददाता, बिसरा: केंद्र की भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, राजग सरकार ने आगाम

By Edited By: Published: Wed, 19 Oct 2016 02:48 AM (IST)Updated: Wed, 19 Oct 2016 02:48 AM (IST)
आम बजट में रेल बजट का विलय नापसंद

जागरण संवाददाता, बिसरा: केंद्र की भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, राजग सरकार ने आगामी वर्ष से आम बजट में रेल बजट का विलय करने का निर्णय लिया है। जिससे आजादी के बाद से पहली बार अलग से रेल बजट प्रस्तुत करने को लेकर तैयारियों का दौर जारी है। लेकिन रेल नगरी बंडामुंडा व राउरकेला में रेल कर्मचारी संगठनों से जुड़े नेताओें ने आम बजट में रेल बजट का विलय होने से रेलवे का महत्व घटने की बात बताकर इस पर अपनी नापसंदगी जाहिर की है। प्रस्तुत है आम बजट में रेल बजट के विलय पर ऐसे नेताओं की राय।

loksabha election banner

::::::::::::::::::::::रेल बजट का विलय किसी भी कीमत पर आम बजट में नहीं होना चाहिए। इससे रेलवे की अपनी अलग पहचान खत्म हो जाएगी। स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी इसका विरोध करना चाहिए।

केएन पांडे, सलाहकार, भारतीय मजदूर संघ।

------------------

भारतीय रेल देश के गरीब लोगों के लिए यात्रा का प्रमुख व सुगम साधन है। आम लोगों की नजर बजट पर रहती है। रेल बजट को लेकर ही रेलवे की अलग पहचान है। जिससे रेल बजट को अलग बजट के रूप में जारी रखना चाहिए।

रतन पंडा, सचिव, दपू रेलवे मेंस कांग्रेस, राउरकेला।

रेल बजट ही रेलवे को अलग पहचान दिलाता है। यदि इस बजट को आम बजट में मिलाया जाता है तो रेलवे अपनी पहचान खो देगा। जिससे इस बजट का आम बजट में विलय नहीं होना चाहिए।

-बीआर मुखी, जोनल अध्यक्ष, अखिल भारतीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति रेल कर्मी संघ।

-----------------------

भारतीय रेल देश का सबसे सस्ता एवं सहज यात्रा का साधन है। रेल से प्रत्येक दिन 22 मिलियन लोग सफर करते हैं। जिससे आम लोगों का लगाव इस बजट से है तथा प्रत्येक वर्ष रेल बजट पर इनकी नजर रहती है। जिससे किसी भी सूरत में रेल बजट का विलय आम बजट में नहीं होना चाहिए।

जहांगीर हक, केंद्रीय संयुक्त महासचिव, दपू रेलवे तृणमूल मेंस कांग्रेस।

--------------------------------

प्रत्येक वर्ष रेल यात्रियों समेत रेलवे कर्मचारियों को भी रेलवे बजट का इंतजार रहता है ताकि यह पता चल सके कि रेल बजट में क्या नई सुविधाएं मिलने वाली है। वैसी सूरत में यदि रेल बजट को आम बजट में मिलाया जाता है तो सभी को मिलकर इसका विरोध करना चाहिए, ताकि रेलवे की अपनी अलग पहचान बनी रहे।

जी. गणेश्वर राव, केंद्रीय महासचिव, आरकेटीए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.