आइज तो करम राजा घारे दुआरे ..
प्रकृति पूजक सरना धर्मावलंबियों ने गुरुवार भादो एकादशी पर कर
जागरण संवाददाता, राउरकेला : प्रकृति पूजक सरना धर्मावलंबियों ने गुरुवार भादो एकादशी पर करम देव की पूजा श्रद्धा के साथ ही। शाम को करम की डाली काट कर अखाड़े में स्थापित किया गया तथा उपासकों के द्वारा करम कथा के साथ पूजा की। रात भर अखाड़े पर नाच गान चलने के बाद सुबह करम देव का विसर्जन किया गया। शहर की विभिन्न बस्ती तथा ग्रामीण क्षेत्रों में इसे लेकर उल्लास का माहौल रहा।
अच्छी फसल एवं परिवार में सुख समृद्धि की कामना करते हुए सरना धर्मावलंबी करम देव की पूजा भादो एकादशी के दिन करते हैं। परंपरा के अनुसार सप्ताह भर पहले पवित्र स्नान कर जावा तैयार कर करम देव की उपासना आरंभ हुई। एकादशी के दिन करम देव को अखाड़े पर स्थापित कर उपासक इसकी पूजा की गई। बहनें जहां अपने कर्म एवं भाई के धर्म के लिए प्रण ली वहीं अच्छे वर की कामना की। नव विवाहिता पुत्र व पुत्री की कामना के साथ परिवार में सुख समृद्धि की कामना करते हुए करम देव की पूजा की। करम देव की कथा पहान के द्वारा सुनाई गई तथा इसी के आधार पर करम देव को धान की पत्ती, आंवला की पत्ती, खीरा, झींगा आदि चढ़ाए गए। ओरामपाड़ा में कुरुख पड़हा की ओर से क्लब परिसर में करम पूजा की गई। पहान मंगरा ओराम ने यहां करम देव की कथा सुनाई। जगदा में करम पूजा कमेटी की ओर से यूपी स्कूल के निकट अखड़ा में करम पूजा की गई। यहां पहान भुरंगा ओराम व बीचा खलको ने करम देव की कथा सुनाई। इसी तरह झीरपानी महतो टोला, कुम्हारटोला, लुआकेरा, तुमकेला, गंगाधरपाली, मधुसूदनपाली, गोपबंधुपाली, बिरजापाली, बालूघाट, जलदा सी ब्लाक, फर्टिलाइजर, आरएस कालोनी, डुमेरता, बंडामुंडा के अलावा अन्य क्षेत्रों में करम देव की पूजा अखाड़े में की गई। वहीं कुछ श्रद्धालुओं ने घरों में करम देव की पूजा की। रात भर नाच गान कर जागरण करने के बाद सुबह करम देव का विसर्जन किया जाएगा। गीतों में आइज को करम राजा घरे- दुआरे, कइल तो करम राजा कांस नदी पारे। सुबह करम देव को विदा करते समय उपासकों ने अगले साल भी इसी तरह की सेवा का अवसर देने की कामना की जाती है।