सरकार की बाट जोह रहे झरना बस्तीवासी
राउरकेला महानगर निगम (आरएमसी) की ओर से बस्तियों को खुल
जागरण संवाददाता, राउरकेला : राउरकेला महानगर निगम (आरएमसी) की ओर से बस्तियों को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत निगम की ओर से आधा दर्जन बस्तियों को खुले में शौच मुक्त बस्तियों की घोषणा भी किया जा चुका है। लेकिन आरएमसी के वार्ड नंबर- 7 के बासंती कॉलोनी स्थित झरना बस्ती में इसकी कहानी ही कुछ अलग बयां कर रही है। इस बस्ती में दर्जन भर लोगों के घरों में शैाचालय का निर्माण आधा अधूरा करके छोड़ दिया गया है। इससे लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। इसके बावजूद बस्ती के लोगों में आज भी निगम की ओर से शौचालय बनाने की उम्मीद में है।
आरएमसी के वार्ड नंबर- 7 बासंती कॉलोनी के पाहाड़ पर स्थित झरना बस्ती में निगम की ओर से एक साल पूर्व सर्वे कर घरों में शौचालय बनाने के लिए गढ़ा खोदा गया। जिसके पश्चात कई घरों में शौचालय का टंकी का निर्माण कार्य अधूरा छोड़ने के साथ कई घरों में अभी तक शौचालय पैन तक नही बैठाया गया है। इस आधे - अधूरे निर्माण के कारण ये शौचालय तथा टंकियों की हालत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। जिसके कारण आज भी इस बस्ती की महिला, पुरुष तथा बच्चे खुले में शौच करने जा रहे है। बस्ती वासियों ने आरोप लगाया कि शायद निगम के अधिकारी शौचालय का अधूरा कार्य कर फाइल में उसे पूरा बता दिया होगा। अगर ऐसा नहीं होता तो साल भर बीतने के बावजूद इस अधूरे बने शौचालय का निर्माण हो चुका है। अब तो इन शौचालयों की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि इस पर फिर से निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है। बस्ती वासियों ने निगम से यहां फिर से शौचालय बनाने का अनुरोध किया है।
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एक साल पूर्व मेरे घर में निगम के अधिकारी ने आकर शौचालय बनवाया था। लेकिन आधे में निर्माण कार्य रोक कर चले गए। जिसके बाद उनका कोई पता नहीं है। एक साल बीतने के बावजूद कोई इस बस्ती में शौचालय बना कि नही झांकने तक नही आया है।
- शुको बेसरा, झरना बस्तीवासी ।
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मजदूरी का कार्य कर पति व पत्नी दोनों गुजारा करते है। साल भर पहले निगम की ओर से घर में शैाचालय बनाया गया। जो आज भी अधूरा पड़ा हुआ है। हम लोगों में इतनी सामर्थ्य नहीं है कि अधूरा शौचालय बनवा सकें। बस्ती के लगभग दर्जन भर लोगों के घरों की शौचालय अधूरा पड़ा है। जिसके कारण खुले में शौच जाते है।
- बीरस मणी, झरना बस्तीवासी।
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साल भर पहले अधिकारी आए शौचालय बनवाने के लिए। गड्ढा खोद कर टंकी बनाया। फिर चले गए। इस गड्ढा के कारण घर से निकलने के दौरान खतरा बना रहता था। जिसके कारण टंकी को लकड़ी से ढंक दिया है। लगता है अफसर रुपया हजम कर गया। जिसके कारण शौचालय का काम अधूरे में लटक गया।
- समीर जोजो, झरना बस्तीवासी।
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दो साल पहले मैडम आई थी और घर में शौचालय नहीं होने के कारण नाम लिख कर ले गई। लेकिन अभी तक कोई नहीं आया। इतना ही नही इस बस्ती के दर्जन भर घरों में शौचालय नही होने के कारण लोग खुले में शौच जाते है।
- संजय यादव, झरना बस्तीवासी।