बंद की राजनीति से आम जनता हलाकान
शहर में इन दिनों बंद की राजनीति का बोलबाला है। यूं कहें त
जागरण संवाददाता, राउरकेला: शहर में इन दिनों बंद की राजनीति का बोलबाला है। यूं कहें तो ज्यादा बेहतर होगा कि पूरा पश्चिम ओडिशा ही बंद की राजनीति की चपेट में है। कभी पश्चिम ओडिशा में हाईकोर्ट की स्थायी बेंच की मांग पर बंद तो कभी राउरकेला में हाईकोर्ट बेंच समेत अलग जिला की मांग पर राउरकेला बंद। इससे पूर्व राफेल विमान खरीद में घोटाला का आरोप लगाकर कांग्रेस का भारत बंद। अब बारी है अलग कोसल राज्य के निर्माण को लेकर पश्चिम ओडिशा महाबंद की। जिसमें कोसल राज्य समन्वय समिति ने आगामी 17 दिसंबर को पश्चिम ओडिशा महाबंद का आह्वान किया है।
देश की आजादी से पूर्व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सत्याग्रह को हथियार बनाया था। लेकिन आजादी के बाद सरकार के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन का रूप अब बंद ने लिया है। जिसमें किसी भी मुद्दे पर राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन या अन्य कोई संगठन अपनी मांग मनवाने के लिए बंद को अपना हथियार बनाने से नहीं चूकते। लेकिन बंद कोई भानुमति का पिटारा तो हैं नहीं कि बंद सफल होते ही वहां से अलादीन का चिराग निकलेगा और सभी मांगें पूरी कर देगा। दूसरी ओर बंद के कारण एक दिन का कारोबार चौपट होने से सरकार को करोड़ों रुपये की राजस्व की चपत लगती है। इस राजस्व हानि को पूरा करने के लिए सरकार जो भी कदम उठाएगी तो उसमें सबसे ज्यादा प्रभावित आम जनता ही होती है, इसमें कोई राय नहीं है।