दिलीप की चुप्पी से सियासी हलचल तेज
लोकसभा व विधानसभा चुनावों की घोषणा के बावजूद भाजपा व राउर
जागरण संवाददाता, राउरकेला: लोकसभा व विधानसभा चुनावों की घोषणा के बावजूद भाजपा व राउरकेला की विधायकी से इस्तीफा देने वाले दिलीप राय की चुप्पी ने सूबे में सियासी हलचल मचा रखा है। चुनाव की घोषणा से काफी पहले ही एक दूसरे के दलों में सेंध लगाने की राजनीतिक दलों की कवायद चल पड़ी थी। इसी कड़ी में पश्चिम ओडिशा में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा झारसुगुड़ा विधायक नवकिशोर दास को बीजद अपने दल से जोड़ने में सफल रही थी। नवकिशोर दास से पहले राउरकेला के विधायक दिलीप राय ने भाजपा व विधायकी दोनों से इस्तीफा देकर संकेत दे दिया था कि वे अगले चुनाव से पहले बीजद या किसी अन्य दल का दामन थामेंगे।
इस बीच सूबे में बीजद का एक बड़ा चेहरा बैजयंत पंडा इस्तीफा देने के नौ महीने बाद आखिरकार भाजपा में शामिल हो गए है। लेकिन दिलीप राय ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोला है। 18 अप्रैल को सुंदरगढ़ संसदीय सीट व सात विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होना है। लेकिन अब तक दिलीप राय कुछ भी स्पष्ट नहीं कर रहे हैं। नतीजतन जिले की पूरी राजनीति उलझ गई है। दिलीप राय के अगले कदम का इंतजार न केवल उनके समर्थक बल्कि बीजद, भाजपा व कांग्रेस सभी दलों को है। ताकि सभी दल अपनी रणनीति तैयार कर पाएं। दिलीप राय बीजद के संस्थापक सदस्य रहे हैं तो कांग्रेस में भी वे कुछ साल रह चुके हैं। जबकि 2014 का विधानसभा चुनाव उन्होंने भाजपा के टिकट पर लड़ा था। तीनों दलों में उनके शुभचितक व विरोधी भरपूर संख्या में मौजूद हैं। लिहाजा सभी की निगाहें उनके अगले कदम पर है। क्योंकि जिस भी दल में वे जाएंगे उसके बाद राउरकेला की राजनीति में एक नया मोड़ आना तय है।