पार्षद से केंद्रीय मंत्री तक रहा दिलीप राय का सफर
राजनीति में फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाले दिलीप राय वार्ड पार्षद से लेकर राज्य सरकार में मंत्री फिर राज्यसभा सदस्य व केंद्र सरकार में मंत्री रहे।
राउरकेला, जेएनएन। दिलीप राय उन चंद नेताओं में हैं जिन्होंने राजनीति में फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है। एक मनोनीत वार्ड पार्षद से लेकर राज्य सरकार में मंत्री फिर राज्यसभा सदस्य व केंद्र सरकार में मंत्री रहे। इसके अलावा जिस एक खास वजह के लिए दिलीप राय की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर मुकम्मल हुई वह है 1999 में बहुमत के लिए जरुरी आंकड़ों को पूरा करने के लिए एआइडीएम के प्रमुख जयललिता को मनाने की चुनौती।
जिसकी जिम्मेदारी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिलीप राय को सौंपी थी। वाजपेयी जी की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए दिलीप राय ने जयललिता को मना लिया और राजग सरकार बन पाई थी। इस बात के लिए दिलीप राय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वाजपेयी सरकार में केंद्रीय कोयला मंत्री फिर इस्पात मंत्री के रूप में उन्होंने सेवाएं दी। दिलीप राय के रिश्ते सभी राजनीतिक दलों में वरिष्ठ नेताओं के साथ रहे। भाजपा नेता प्रमोद महाजन के साथ उनकी गहरी बनती थी। इसके अलावा भी केंद्र व राज्य के मंत्रियों व नेताओं से उनकी दोस्ती जगजाहिर है।
राजनीतिक सफर
1978 में एनएसी मे सरकार की ओर से मनोनीत पार्षद बनकर पहली बार वे बतौर जनप्रतिनिधि लोगों के बीच पहुंचे। इसके बाद 1985 में दिलीप राय पहली बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे और राउरकेला का प्रतिनिधित्व किया। विधायक रहते उन्होंने राउरकेला नगरपालिका के वार्ड संख्या-14 से चुनाव लड़ा और पार्षद बने। पार्षद बनने के बाद उन्होंने राउरकेला का नगरपाल चुना गया। विधायक सह नगरपाल के रूप में उन्होंने अपनी सेवाएं शहर को दी और 1990 तक इसी रूप में काम करते रहे। 1990 में दिलीप राय दोबारा राउरकेला से विधायक बने।
इस बार उन्हें राज्य सरकार में उद्योग मंत्री बनाया गया। 1995 में पहली बार दिलीप राय को कांग्रेस के उम्मीदवार प्रभात महापात्र ने शिकस्त दी। लेकिन अगले ही साल 1996 में दिलीप राय राज्यसभा के सदस्य बन गए। इस दौरान केंद्र में देवगौड़ा सरकार बनी जिसमें दिलीप राय को स्वर्गीय बीजू पटनायक के प्रभाव से खाद्य व प्रसंस्करण मंत्री बनाया गया। इसके बाद एक दौर आया जब जनता दल का बिखराव हुआ तो ओडिशा में बीजू जनता दल अस्तित्व में आया जिसके संस्थापक सदस्यों में दिलीप राय थे। दिलीप राय ने बीजद-भाजपा गठबंधन में अहम भूमिका निभाई तथा 1999 में राजग सरकार बनने पर उन्हें कोयला मंत्री बनाया गया। इसके बाद राजग सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान उन्हें इस्पात मंत्री भी बनाया गया। लेकिन आगे चलकर उन्हें मंत्रालय गंवाना पड़ा। बीजद से भी उनकी दूरियां बढ़ने लगी।
अपनी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय देते हुए दिलीप राय ने 2004 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा का चुनाव लड़ा और जीतकर राज्यसभा पहुंच गए। वर्ष 2009 से पूर्व दिलीप राय की कांग्रेस से नजदीकियां बढ़ी तो वे कांग्रेस में आए लेकिन 2009 में राज्यसभा सदस्य के रूप में कांग्रेस ने उनकी जगह राम खुंटिया को भेज दिया जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़कर अचानक चुप्पी साध ली। लेकिन 2014 में वे फिर एक बार राउरकेला आए और समर्थकों व कार्यकर्ताओं के कहने पर विधानसभा का चुनाव भाजपा के टिकट से लड़ा। दिलीप राय उन चंद नेताओं में रहे जिन्होंने बीजद के गढ़ बन चुके ओडिशा व राउरकेला में भाजपा का झंडा बुलंद किया। लेकिन भाजपा से भी उनका अंतत: मोहभंग हो गया।
दिलीप राय हैं जहां, हम सब भी हैं वहां
भुवनेश्वर में विधानसभा अध्यक्ष प्रदीप अमात को जैसे ही दिलीप राय ने अपना इस्तीफा सौंपा राउरकेला में यह खबर जंगल में आग की तरह फैली। जगह-जगह दिलीप समर्थक जमा हुए और अपने नेता के कदम की सराहना की। सेक्टर-16 में दिलीप राय के सर्मथकों ने एक सुर में नारा दिया कि दिलीप जहां, हम वहां। दिलीप राय के युवा ब्रिगेड की कमान संभाल रहे अविनाश प्रधान ने कहा कि दिलीप राय ने माटी के लिए पार्टी से इस्तीफा दिया। इतना ही नहीं अपनी विधायकी भी छोड़ दी। दिलीप राय राउरकेला के भूमिपुत्र हैं। उन्होंने राउरकेला में विकास के कई कार्य किए हैं। लेकिन जिस तरह से भाजपा व केंद्र सरकार ने शहर के दो प्रमुख विकास परियोजनाओं पर उनके साथ धोखाधड़ी की वह गलत है। दिलीप राय के इस्तीफे के बाद हमलोग भी भाजपा से इस्तीफा देंगे और दिलीप राय के अगले कदम का इंतजार करेंगे। जहां तक दिलीप राय के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की बात है तो हम उनके समर्थक हमेशा चाहेंगे कि वे चुनाव लड़ें और जीतकर राउरकेला का विकास करें। इसके लिए उन्हें राजी भी करने का प्रयास करेंगे। बसंत प्रधान, अविनाश प्रधान, बबलू चौरसिया, दौलत कुमार, रमेश कुमार सहित अन्य समर्थक मौके पर मौजूद थे।
भाजपा से सैकड़ों कार्यकर्ताओं का इस्तीफा
दिलीप राय के इस्तीफे के बाद भाजपा से दिलीप राय समर्थकों ने इस्तीफा दे दिया है। पूर्व नगरपाल तथा भाजपा नेता रमेश बल ने बताया कि दिलीप राय के इस्तीफे का कारण जायज मानकर उनके पीछे हम सभी ने इस्तीफा दिया है। दिलीप राय का जो भी अगला कदम होगा हम उनके साथ खड़े होंगे।