उच्च न्यायालय में सीबीआइ जांच के लिए याचिका दायर
जासं राउरकेला गरीब और निर्दोष लोगों के खिलाफ जीएसटी धोखाधड़ी मामले की सीबीआइ से जांच
जासं, राउरकेला : गरीब और निर्दोष लोगों के खिलाफ जीएसटी धोखाधड़ी मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग को लेकर ओडिशा उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। राउरकेला के राजेंद्र पिल्लई की ओर से दायर याचिका में दर्शाया गया है कि गरीब व निर्दोष लोगों के नाम पर करोड़ों रुपये की जीएसटी ठगी की गई है। आवेदनकारी ऑटो चालक के तौर पर काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करता है। उसे सीटी जीएसटी कमिश्नर की ओर से नोटिस भेजा गया था। जिसमें कर-सूद-जुर्माना के वाबद चार करोड़ 31 लाख 39 हजार 672 रुपये जमा करने को कहा गया है। कटक के बक्शी बाजार स्थित एक कंपनी के साथ उसके जुड़े होने की बात नोटिस में उल्लेख की गई है। ऑटो ड्राइवर के रूप में जीवन बिताने वाला आवेदक कब कंपनी का मालिक बन गया उसे खुद ही नहीं मालूम था, लेकिन कैसे वस्तु एवं सेवा कर विभाग की ओर से इसे लेकर उपयुक्त जांच ना करते हुए उन्हें नोटिस भेजा गया। इसे लेकर आवेदक आश्चर्यचकित है। राउरकेला के उदितनगर बस्ती में रहकर पाइप मैकेनिक का काम करने वाले समीर जोजो की भी स्थिति समान है। उनके नाम पर बनी कंपनी के लिए जीएसटी कमिश्नर के कार्यालय से उन्हें भी नोटिस जारी किया गया था। निर्दोष लोगों के आधार कार्ड, बिजली बिल व दूसरे परिचय पत्र का उपयोग कर कुछ लोगों ने जाली कंपनी खोल ली और करोड़ों रुपये की जीएसटी ठगी करने की बात आवेदन कारी ने अपने आवेदन में दर्शाया है। बगैर अपराध के गरीब लोगों की अज्ञानता में इस तरह के कार्य किए गए हैं। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विभाग इस तरह की घटनाओं के जड़ तक न जाकर निर्दोष लोगों को जीएसटी ठगी के मामले में नोटिस जारी कर रहा हैं। इस तरह के ठगी की घटना के पीछे कौन लोग हैं, उसकी जांच की जानी चाहिए।
दो वक्त का भोजन जुटाने में जिदोजहद करने वालों के नाम पर किस तरह कंपनी खोली गई, उन लोगों को अधिकारी खोज कर निकाले। इसके साथ ही योजनाबद्ध रूप से इस तरह के कार्य में लिप्त व्यक्तियों को पकड़ने व उन्हें दंडित करने के लिए सरकार की ओर से कदम उठाया जाए। इसके साथ ही जो सरकारी अधिकारी इस तरह की घटना की सही तरह से जांच न कर गरीब व आम लोगों को नोटिस भेजकर परेशान कर रहे हैं। उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। इस घटना की सीबीआइ जांच कर उसे निर्दोष करार देने के लिए आवेदक ने मांग की है। मामले में राज्य वित्त विभाग, सिटी जीएसटी कमिश्नर समेत दूसरे लोगों को पार्टी बनाया गया है। आवेदनकर्ता की ओर से अधिवक्ता आशीष कुमार मिश्र मामले का संचालन कर रहे हैं।