19 वर्षों से भूमिगत खदान के ऊपर रह रहे 5 हजार लोग, कभी भी हो सकते हैं जमींदोज
पांच हजार लोग 19 सालों से भूमिगत खदान के ऊपर रह रहे है। इन लोगों को कभी भी भूकंप जमींदोज कर सकता है। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड बड़बंगा पहाड़ के नीचे से मिट्टी खोदकर जिंक तांबा व सोना मिला कच्चा माल निकालकर ले गए लेकिन खदानों को यूं ही छोड़ गए।
राउरकेला, जागरण संवाददाता। मिट्टी के नीचे से सीसा, तांबा व सोना खोद कर ले गए। लेकिन बड़बंगा पंचायत के पांच हजार लोगों के लिए खतरा छोड़ गए। लेफ्रिपाड़ा प्रखंड अंतर्गत बड़बंगा पंचायत में स्थित बंगा पहाड़ के नीचे जिंक, सीसा, तांबा व सोना जमा होने की बात सर्वे में सामने आई थी। जिसके बाद केंद्र सरकार के अनुमोदन पर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने 1974 में सीसा खुदाई का कार्य आरंभ किया था।
कर्मचारियों को पैसा दे चलती बनी कंपनी
छत्तीसगढ़ सीमावर्ती इस खदान में आसपास के अंचलों से हजारों युवकों को नियुक्ति मिली थी। जिसके कारण यहां पर जिंक नगर बस गया। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड बड़बंगा पहाड़ के नीचे से मिट्टी खोद कर कच्चा माल निकालने के लिए चार दरवाजा बनाया था। पहाड़ के नीचे मिट्टी खोदकर जिंक, तांबा व सोना मिला कच्चा माल वॉल्टियर स्थित रिफाइनरी प्लांट भेजा जाता था। जहां पर सभी चीजों को अलग-अलग किया जाता था। लेकिन 1974 में आरंभ किए गए शीशा खदान का कच्चा माल समय से पूर्व भी खत्म होने के बाद कह कर कंपनी ने 2001 में खदान को बंद कर दिया। जिसके कारण इस खदान में काम करने वाले कुछ कर्मचारियों को वॉल्टियर स्थानांतरण कर दिया गया। जबकि बाकी कर्मचारियों को पैसा देकर कंपनी चलती बनी।
इन दस गांव के लोगों पर मंडरा रहा है खतरा
1974 से 2001 तक 27 साल पहाड़ के नीचे 3 से 4 किलोमीटर की परिधि में मिट्टी खोदकर कच्चा माल वॉल्टियर रिफाइनरी प्लांट को ले जाया गया। लेकिन कंपनी ने जाते समय कच्चा माल निकालने के बाद बने गुफा को मिट्टी व बालू से भरने के बजाय केवल चारों गेट को बंद कर चल गयी। कंपनी तो चली गई लेकिन लेफ्रिपाड़ा प्रखंड के 4 पंचायत के दस गांव भरतपुर, बड़बंगा, लोकडेगा, छोटबंगा, महिकानी, झीमेरमहुल, झारगांव, बीजाडीह गांव के लोगों को खतरे के बीच छोड़ गई है।
भूकंप अाने पर दब जाएगी मिट्टी
खोदे गए खदान में खाली हिस्से में पानी भर गया है। जबकि इसके ऊपर 10 गांव के लोग रह रहे हैं। कभी भी अगर भूकंप आता है तो यह 10 गांव मिट्टी के नीचे दब जाएगा। खतरे में रह रहे गांव के लोगों द्वारा बार-बार खोदे गए खदान को भरने की मांग की जाती रही है। लेकिन इस बीच 19 वर्ष गुजर जाने के बावजूद न तो प्रशासन और न ही राज्य सरकार इसके प्रति ध्यान दे रही है। चालू बस इस खाली सीसे के खदान में झारसुगड़ा में स्थित संयंत्रों से निकलने वाला कचरों से भरने का फैसला लिया गया है।
टाला भी जा सकता है संभावित खतरा
झारसुगुड़ा जिले में स्थित कुछ संयंत्रों का एस व जले हुए कोयला का चूरा अगर खदान में भरा जाता है तो यहां जमा पानी जहरीला हो जाएगा। जो कि आसपास के ग्राम में स्थित कुआं व नलकूप के जरिए निकलने वाले पानी के जरिए लोगों के शरीर में जाने से वे विभिन्न बीमारी, यहां तक कि जानलेवा कैंसर के चपेट में आ सकने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। जिसके कारण बड़बंगा के लोग एस के जरिए खदान भरने का विरोध कर रहे हैं। जिला प्रशासन इसके प्रति ध्यान देकर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड द्वारा छोड़े गए खाली सीसा खदान को बालू द्वारा भरे, अन्यथा खतरे के बीच जीवन यापन करने वाले 10 गांव के लोगों को मुआवजा देकर दूसरे जगह स्थानांतरित करें। समय रहते-रहते अगर प्रशासन इस दिशा में कदम उठाती है, तो आगामी दिनों में संभावित खतरे को टाला जा सकता है।