विस्थापितों को 64 साल बाद मिलेगा जमीन का पट्टा
जागरण संवाददाता, राउरकेला : राउरकेला इस्पात संयंत्र की स्थापना के समय विस्थापित परिवार को 64 साल बाद
जागरण संवाददाता, राउरकेला : राउरकेला इस्पात संयंत्र की स्थापना के समय विस्थापित परिवार को 64 साल बाद जमीन का पट्टा मिलेगा। पुनर्वास कॉलोनी एवं रिक्लामेशन कैंप स्थित घरबाड़ी एवं खेती जमीन का पट्टा विस्थापितों को प्रदान करने का फैसला सरकार की ओर से लिया गया है। इसके लिए मई एवं जून महीने में बिसरा, लाठीकटा, कुआरमुंडा और राउरकेला तहसीलदार के कार्यालय में आवेदन करना है। जमीन से संबंधित जानकारी के अभाव में आधे से अधिक परिवार के सदस्य आवेदन नहीं कर पाए हैं।
राउरकेला इस्पात संयंत्र और मंदिरा डैम निर्माण के लिए 1954 में जमीन का अधिग्रहण किया गया था। तब छह हजार से अधिक परिवारों को विस्थापित किया गया था। उनके लिए राउरकेला के पर जलदा ए, बी एवं सी, बंडामुंडा में आरएस कॉलोनी एवं झीरपानी तथा उसरा में पुनर्वास कॉलोनी का निर्माण कराया गया था। प्रत्येक परिवार को छह डिस्मिल जमीन घर बनाने के लिए लीज पर दी गई थी।
इसी प्रकार खेती जमीन के बदले में रिक्लामेशन कैंप के जरिए सभी को हाथीधर्सा, सिलिकटा, आमगां, पुटरीखमन आदि वन क्षेत्र में खेती के लिए जमीन दी गई। अब अधिकतर लोगों की जमीन पर दूसरों का कब्जा है। जमीन पट्टा के लिए आवेदन करने वाले विस्थापित परिवार के लोगों को अपनी जमीन कहां है इसका पता नहीं है। ऐसी परिस्थिति में बड़ी संख्या में विस्थापित अपनी जमीन का पट्टा व जमीन पाने से वंचित रह सकते हैं।
विस्थापित संघ के नेता लाछू ओराम ने इस संबंध में केंद्रीय जनजातीय आयोग के चेयरमैन का भी ध्यान आकृष्ट किया था। विभिन्न जनसुनवाई के बाद आयोग की ओर से केंद्र व राज्य सरकार तथा आरएसपी प्रबंधन को भी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। आयोग के निर्देश पर ही प्रशासन की ओर से पट्टा देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। परंतु अभी इसका सही लाभ लोगों को नहीं मिल पाया है।