Move to Jagran APP

ओडिशा: मांसाहारी भोजन त्याग शाकाहारी बने लोग, रंगोली से सजे घर-आंगन

कार्तिक माह की शुरुआत के साथ ही राउरकेला में घर- आंगन रंगोली से सज गये हैं इसके साथ ही घरों में सात्विक आहार परोसा जा रहा है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 11:02 AM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 11:02 AM (IST)
ओडिशा: मांसाहारी भोजन त्याग शाकाहारी बने लोग, रंगोली से सजे घर-आंगन
ओडिशा: मांसाहारी भोजन त्याग शाकाहारी बने लोग, रंगोली से सजे घर-आंगन

राउरकेला, जेएनएन। पवित्र मास कार्तिक का पंचक शुक्रवार से शुरू हो चुका है। यह पंचक आगामी मंगलवार तक रहेगा। इसे लेकर इस्पात नगरी राउरकेला समेत आसपास के अंचलों में रंगोली से घर- आंगन सजने लगे हैं। जिसमें घर-घर में आंगन पर बनी एक से एक बढ़कर सुंदर रंगोली लोगों का ध्यान आकृष्ट कर रही है। इस दौरान खासकर फूल-पत्तियों पर आधारित रंगोली की संख्या ज्यादा देखी जा रही है। वहीं किसी-किसी स्थान पर बनी रंगोली देवी-देवता के रूप का एहसास भी करा रही है। 

loksabha election banner

शुक्रवार से पंचक व्रत शुरू होने के बाद से ही घरों में श्रद्धालु महिलाओं की ओर से पूजा करने के बाद घर के आंगन पर सुंदर रंगोली बनायी जा रही है। रंगोली बनाने के साथ-साथ घरों में निरामिष आहार का सेवन भी श्रद्धालुओं की ओर से किया जा रहा है। वैसे तो पूरे कार्तिक महीने में अधिकांश लोग शाकाहारी भोजन करते हैं। लेकिन जो लोग पूरे महीने इसका पालन नहीं कर पाते, वे कार्तिक महीने के अंतिम पांच दिन पंचक का पालन करते हैं तथा मांसाहारी भोजन त्याग शाकाहारी भोजन करते है। इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा को लेकर शहर में बोईत बंधान, अष्टप्रहरी नामयज्ञ की तैयारी भी अंतिम चरण में है।

जबकि सेक्टर-6 एच ब्लाक में भगवान कार्तिकेश्वर की पूजा करने के साथ अष्टप्रहरी नामयज्ञ आयोजित करने की तैयारी भी पूरी कर ली गयी है। यहां भी पंचक उत्सव धूमधाम से मनाने की तैयारी है। नामयज्ञ के दौरान विश्व शांति के साथ-साथ क्षेत्र में सुख-समृद्धि मुख्य उद्देश्य होगा। आयोजकों के अनुसार, पंचक व्रत का अपना महत्व है। कार्तिक मास के अंतिम पांच दिन अति विशेष होते हैं। 

पंचक व्रत 

हिंदू धर्म में इस पर्व का काफी महत्व है, वैसे भी कार्तिक माह को धाार्मिक कार्यो के नजरिये से काफी पवित्र माना जाता है। इसी माह होने वाले पंचक व्रत देवउठनी एकादशी से शुरु होकर पांच दिन तक चलते हैं। इस वर्ष ये व्रत 8 नवंबर से 12 नवंबर तक रहेंगे। इस व्रत को करने से एक सदाचारी व संयमी व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकता है। पांच दिनों तक चलने वाले इस व्रत को भीष्मपंचक व्रत भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा के साथ करने से घर में सुख-सम्मान में वृद्धि होती है और नि:संतान लोगों को संतान प्राप्ति होती है।

 मुस्लिमों को पांच एकड़ जमीन दिए जाने पर लेखिका तसलीमा नसरीन ने दागे सवाल

Rohtang tunnel : रोहतांग सुरंग से 500 लोग हुए आर-पार, प्रशासन के छूटे पसीने


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.