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सड़क पर गिरती टंकी तो बिछ जाती सैकड़ों लाशें

सिविल टाउनशिप में जमींदोज हुई पानी टंकी अगर निर्धारित स्थान से महज दो मीटर आगे सड़क पर गिरती तो ये हादसा काफी बड़ा हो सकता था।

By Edited By: Published: Mon, 27 Aug 2018 07:16 PM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 01:05 PM (IST)
सड़क पर गिरती टंकी तो बिछ जाती सैकड़ों लाशें
सड़क पर गिरती टंकी तो बिछ जाती सैकड़ों लाशें

राउरकेला, जेएनएन। सिविल टाउनशिप में जमींदोज हुई पानी टंकी दरअसल प्रशासन की लापरवाही का नतीजा था। अगर टंकी अपने निर्धारित स्थान से महज दो मीटर आगे सड़क पर गिरती तो लाशें बिछ जाती। हादसा उस समय हुआ जब सड़क पूरी तरह राहगीरों व वाहन चालकों से अटा पड़ा था। पास ही कई दुकानें हैं जहां पर रोज की तरह लोग जमा थे। इतना ही नहीं भेषज पटेल अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों के परिजन भी आसपास ही जरुरत का सामान खरीदने आते हैं। एसी स्थिति में हादसा काफी बड़ा हो सकता था।

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झांकने तक नहीं आए शीर्ष अधिकारी

शहर के बीचोंबीच हुए इतने बड़े हादसे के बावजूद प्रशासन का कोई शीर्ष अधिकारी मौके पर झांकने तक नहीं आया। इसे लेकर लोगों में नाराजगी भी दिखी। मौके पर केवल पुलिस, पीएचइडी व बिजली विभाग के अधिकारी पहुंचे थे। घायलों या प्रभावितों की सुध तक लेने वाला कोई नहीं था।

 प्रशासन की लापरवाही से जमींदोज हुई टंकी

हादसे के बाद मौके पर पहुंचे पूर्व विधायक प्रभात महापात्र ने इसे प्रशासनिक व सरकारी विफलता बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस टंकी को काफी पहले ही खतरनाक घोषित कर इसे खुद ही जमींदोज कर देना चाहिए था। लगता है इंतजार किया जा रहा था कि कब यह वह खुद जमींदोज हो जाए। लेकिन यह भूल गए कि जहां टंकी है वहां बड़ी आबादी रहती है। हजारों किलो के कंक्रीट का ढांचा अगर सड़क पर गिरता तो क्या हालात होती।

- प्रभात महापात्र, पूर्व विधायक राउरकेला।

गनीमत है कि बगैर किसी को नुकसान पहुंचाए यह हादसा हुआ। अगर यह टंकी सड़क पर गिरती तो नतीजे का सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है। क्या यह जिम्मेदारी नहीं बनती प्रशासन की कि वह ऐसे खतरनाक हो चुके ढांचों की पहचान कर इसे खुद ही जमींदोज कर दे या यह भी आमलोगों की ही जिम्मेदारी है।

- निहार राय, पूर्व नगरपाल व भाजपा नेता।

जिस तरह से यह सबकुछ हुआ है वह बताता है कि आमलोगों के लिए यह सरकार व प्रशासन कितनी संजीदा है। क्या प्रशासन तब जागेगा जब लोगों की लाशें बिछ जाएंगी।

- रमेश बल, पूर्व नगरपाल

जब हादसा हुआ तो लगा कि कहीं भूकंप तो नहीं आ गया। उस मंजर को याद कर रूह कांप जाती है जिस समय कंक्रीट का इतना बड़ा ढांचा गिरा। आसपास के दुकानदारों को लगा कि शायद वे बचेंगे ही नहीं।

- सरफराज तारीक उर्फ गुड्डू, राउरकेला बैटरी, संजय मार्केट

जिस समय हादसा हुआ मैं वहां अपनी चाय दुकान के लिए पानी लेने गई थी। टंकी गिरता देख भागी लेकिन कुछ पत्थर मेरे सिर पर लग गए। स्थानीय लोगों ने अस्पताल पहुंचाया। मेरे साथ दो और लोग भी घायल हुए।

- रौशनी, स्थानीय दुकानदार

हादसा स्मार्ट सिटी राउरकेला के लिए एक चेतावनी है। हमें ऐसे ढांचों की पहचान कर तत्काल इसे जमींदोज कराना होगा। वरना कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

- रवि राय, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस


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