आदिवासियों का हक छीनने की साजिश : जार्ज
बीरमित्रपुर के विधायक व आदिवासी मूलवासी बचाओ मंच के संयोजक जार्ज तिर्की की अगुवाई में सैकड़ों की संख्या में आदिवासी बिरसा मैदान में एकत्र हुए और परंपरागत हथियार लेकर रैली निकाली गई।
राउरकेला, जेएनएन। सुंदरगढ़ जिले विभाजन के विरोध में आदिवासी मूल वासी अधिकार सुरक्षा मंच, आदिवासी मूलवासी बचाओ मंच, सुंदरगढ़ जिला पेसा ग्राम सभा की ओर से गुरुवार को परंपराग हथियार लेकर रैली निकाली गई। जिला विभाजन को आदिवासियों का हक छीनने का बड़ा षड्यंत्र बताते हुए इसे किसी हाल में बर्दाश्त नहीं करने का एलान किया गया।
बीरमित्रपुर के विधायक व आदिवासी मूलवासी बचाओ मंच के संयोजक जार्ज तिर्की की अगुवाई में सैकड़ों की संख्या में आदिवासी बिरसा मैदान में एकत्र हुए। परंपरागत हथियार के साथ रैली निकाला एवं मुख्य मार्ग से होकर उदितनगर एडीएम आफिस पहुंचकर प्रदर्शन किया एवं राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। इसमें कहा गया है कि आदिवासी अधिसूचित सुंदरगढ़ जिले को पेसा कानून के दायरे में रखा गया है। यहां हर योजना व फैसला ग्राम सभा के जरिए ही होना चाहिए। राउरकेला बार एसोसिएशन के आह्वान पर सुंदरगढ़ का विभाजन कर राउरकेला को अलग राजस्व जिला बनाने की मांग की जा रही है तथा इसके लिए बंद का आह्वान किया गया था। इसे कांग्रेस, भाजपा, सीटू समेत अन्य संगठनों की ओर से समर्थन दिया गया।
सुंदरगढ़ जिले के आदिवासी व मूलवासी शुरू से ही इसका विरोध करते रहे हैं। अलग जिला गठन होने के बाद सुंदरगढ़ जिले को आदिवासी अधिसूचित जिले की मान्यता खत्म हो जाएगी। इसके साथ ही आदिवासी उत्पीड़न कानून 1989 तथा पेसा कानून 1996, राजस्व एवं प्राकृतिक आपदा प्रबंधन 2008, जल जंगल व जमीन पर आदिवासियों के अधिकार छिन जाएंगे। सुंदरगढ़ जिले को संविधान की पांचवीं अनुसूचि में शामिल किया गया है जिसमें विभिन्न अधिकार आदिवासियों को दिए गए हैं।
सरकार की ओर से आदिवासियों को उनके अधिकारों से वंचित रखने के लिए षड्यंत्र किया जा रहा है। राउरकेला में कुछ लोग निजी स्वार्थ के लिए विभाजन का समर्थन कर रहे हैं। आदिवासियों के हितों के मद्देनजर विभाजन को हर हाल में रोकने का अनुरोध संगठनों की ओर से किया गया है। इसमें आदिवासी मूल वासी अधिकार सुरक्षा मंच के अनिल एक्का, पूर्व विधायक हालू मुंडारी, सुंदरगढ़ पेसा ग्राम सभा के संयोजक सुप्रिया विलियम किरो, सुंदरगढ़ जिला आदिवासी मूल वासी बचाओ मंच के जबलून एक्का, लेथा तिर्की, अलवर्ट ¨कडो, रजनी कुल्लू, गीतांजलि टेटे, दीपक डांग, मंगल ओराम आदि लोगों ने अपने विचार रखे।