ओड़िआ भाषा विकास मंच को बड़ी उम्मीद
जागरण संवाददाता, राउरकेला : सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर ओडि़आ भाषा में कामकाज तथा सभी संस्था, कार्या
जागरण संवाददाता, राउरकेला : सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर ओडि़आ भाषा में कामकाज तथा सभी संस्था, कार्यालय व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में नाम फलक पर सबसे ऊपर ओड़िआ भाषा में लिखाना अनिवार्य कराने की मांग को लेकर राउरकेला में ओड़िआ भाषा विकास मंच तथा भुवनेश्वर में भाषा आंदोलन ओडिशा के लंबे संघर्ष के बाद सरकार की नींद खुली है। राज्य सरकार मंत्रीमंडल में लिए गए फैसले के आधार पर पहली अप्रैल को उत्कल दिवस पर इस पर घोषणा करने वाली है। सरकार पर दबाव बनाये रखने के लिए मंच का आंदोलन लगातार चल रहा है।
ओडि़आ भाषा में कामकाज के लिए सरकार की ओर से भाषा कानून 1954 बनाया गया था। इसके बावजूद ओडि़आ भाषा को महत्व नहीं दिया गया। सभी सरकारी कामकाज अंग्रेजी में ही होते रहे। कानून की अनदेखी करते हुए संस्थाओं, कार्यालयों एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का नाम फलक अंग्रेजी में लिखा जा रहा। उत्कल सम्मेलनी समेत विभिन्न संगठनों की ओर से इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी गई। रैली, धरना प्रदर्शन से कुछ लाभ नहीं होने पर भुवनेश्वर के भाषा आंदोलन ओडिशा तथा राउरकेला के ओड़िआ भाषा विकास मंच के बैनर तले शहर के विभिन्न शहरों में काला झंडा लेकर महापुरुषों की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया जा रहा है। राउरकेला में ओडि़आ भाषा विकास मंच के सचिव आर्तत्राण महापात्र तथा कुंज बिहारी राउत की अगुवाई में महापुरुषों की प्रतिमाओं के समक्ष काला झंडा लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है। भुवनेश्वर के संतोष पटनायक, प्रद्युम्न शतपथी, संयोजक पवित्र महाराणा भी हर दिन कहीं न कहीं भाषा को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। यह 718वें दिन में पहुंच चुका है।
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सरकार आज कर सकती है घोषणा : ओडि़आ भाषा विकास मंच तथा भाषा आंदोलन ओड़िशा के आंदोलन से सरकार की आंखें खुली। ओडिशा सरकार की ओर से 26 दिसंबर 2017 को पुरी में मंत्रीमंडल की बैठक कर पहली अप्रैल से कानून का पालन अनिवार्य रूप से कराने का फैसला ले चुकी है एवं पहली अप्रैल 2018 को इसकी विधिवत घोषणा होने की उम्मीद है। इसमें सभी सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों में नाम फलक पर ओडि़आ भाषा में लिखना अनिवार्य करने, निर्देशों का उल्लंघन करते पकड़े जाने पर पहली बार एक हजार से पांच हजार तक तथा दूसरी बार पकड़े जाने पर दो हजार से 25 हजार रुपये तक जुर्माना का प्रावधान हो सकता है। सरकार की ओर से इसके लिए विशेष विभाग बनाया जाएगा तथा ओडि़आ को प्रोत्साहन देने वाले अधिकारियों को पुरस्कार भी मिलेगा। सरकारी अधिकारी कानून का उल्लंघन करें तो उन्हें क्या दंड मिलेगा यह स्पष्ट नहीं होने के कारण मंच का आंदोलन जारी है।
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आंदोलन में इन लोगों का रहा साथ : ओड़िआ भाषा विकास मंच के आंदोलन में राउरकेला के सरकारी व गैर सरकारी संस्थान, शैक्षिक व सामाजिक संस्थान एवं व्यक्ति विशेष का समर्थन मिला है। इसमें प्रो. नागेंद्र दास, प्रो. प्रशांत पति, डा. बसंत दास, विचित्रानंद साहू, महेन्द्र मिश्रा, राजीव पाणी, प्रशांत सेठी, अभिमन्यु प्रधान, नित्यानंद नायक, अधिवक्ता कैलाश साबत, बबिता महापात्र, अव¨नन्द्र ओझा, चित्रकार रमेश माझी, शशि भूषण त्रिपाठी, सुस्मिता महापात्र, चंद्रशेखर पाइकराय के अलावा उत्कल सम्मेलनी, इस्पात साहित्य संसद, नीलचक्र, नीलशैल, कल्चरल अकादमी, स्वास्ति साहित्य संसद, धामरा संघ, बसंती पाठागार, भंज कला केंद्र समेत अन्य संगठनों का सहयोग मिला है।