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हो भाषा के 20 स्कूलों में नहीं हुई शिक्षकों की नियुक्ति

भाषा संस्कृति व परंपरा के विकास के साथ ही अपनी भाषा में बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए सुंदरगढ़ जिले में हो खड़िया एवं संथाली भाषा के स्कूलों की स्थापना 2013-14 में की गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 12:33 AM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 12:33 AM (IST)
हो भाषा के 20 स्कूलों में नहीं हुई शिक्षकों की नियुक्ति
हो भाषा के 20 स्कूलों में नहीं हुई शिक्षकों की नियुक्ति

जागरण संवाददाता, राउरकेला : भाषा, संस्कृति व परंपरा के विकास के साथ ही अपनी भाषा में बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए सुंदरगढ़ जिले में हो, खड़िया एवं संथाली भाषा के स्कूलों की स्थापना 2013-14 में की गई। जिले में स्थापित कुल 127 बहुभाषी स्कूलों में से हो भाषा के 20 स्कूलों में एक भी शिक्षक नियुक्त नहीं किए गए। खड़िया भाषा के दस स्कूलों में केवल चार शिक्षक हैं। यहां तक कि चालू शिक्षा वर्ष में स्कूलों को अब तक पाठ्य पुस्तक नहीं मिल पाई है। ऐसे में स्कूलों को खोलने का मकसद लक्ष्य से परे हो गया है।

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संविधान की धारा 350 (ए) में प्राथमिक स्कूलों में जनजातीय बच्चों को उनकी ही मातृभाषा में शिक्षा देना है। इसे ध्यान में रखकर ओडिशा सरकार की ओर से 2013-14 में पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा देने की व्यवस्था की गई थी। सुंदरगढ़ जिले के 10 ब्लॉक में से बालीशंकरा, बिसरा, बणई, कोइड़ा, कुआरमुंडा, कुतरा, लहुणीपाड़ा, नुआगांव, राजगांगपुर एवं सबडेगा ब्लाक में ओराम, खड़िया एवं पाउड़ी भुइयां आदिम जनजाति के बच्चों के लिए यह व्यवस्था थी। जिले में कुल 127 बहुभाषी स्कूल खोले गए थे पर प्रबंधन जनित त्रुटि तथा सरकारी उदासीनता के कारण काम ठीक से नहीं हो सका। इन स्कूलों के लिए शिक्षा सहायकों की नियुक्ति नहीं हुई एवं बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या नगण्य है। यहां तक कि बहुभाषी स्कूलों के लिए नियुक्त शिक्षकों को प्रतिनियुक्त पर सामान्य स्कूलों में भेजा गया है। काबिलेगौर बात यह है कि शिक्षा वर्ष 2020-21 शुरु होने के छह महीने बीत गए हैं पर अब तक इन स्कूलों के लिए पाठ्यपुस्तकों का प्रबंध नहीं किया गया है। बालीशंकरा ब्लाक में ओराम भाषा के 12 स्कूलों में 33 ओराम सहायक शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी जबकि चार खड़िया भाषा स्कूलों में चार सहायक शिक्षक थे। बिसरा ब्लाक में चार ओराम भाषा के स्कूलों में 11 सहायक शिक्षक, बणई में मुंडा भाषा के आठ स्कूलों में 15 सहायक शिक्षक, कोइड़ा के 18 मुंडा भाषा के स्कूलो में 54 सहायक शिक्षक, कुआरमुंडा में 5 मुंडा भाषा स्कूलो में 12 सहायक शिक्षक, कुतरा में 9 ओराम भाषा के स्कूलों में 26 सहायक शिक्षक, लहुणीपाड़ा में 6 पाउड़ी भुइयां स्कूल में नौ सहायक शिक्षक, नुआगांव में चार ओराम भाषा के स्कूलों में 12 तथा सात मुंडा भाषा के स्कूलों में 24 सहायक शिक्षक नियुक्त किए गए थे। राजगांगपुर ब्लाक के नौ ओराम भाषा के स्कूलों में 23 तथा चार मुंडा भाषा के स्कूलों में 12 सहायक शिक्षक, सबडेगा में 11 ओराम भाषा के स्कूलो में 33 सहायक शिक्षक, एवं छह खड़िया भाषा के स्कूलों में चार सहायक शिक्षक नियुक्त किए गए थे। कोइड़ा व लहुणीपाड़ा ब्लाक के 20 स्कूलों में एक भी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई। स्कूलों में मातृभाषा में शिक्षा केवल दीवारों में लिखा देखा जा रहा है। कई बहुभाषी शिक्षकों को प्रतिनियुक्त पर सामान्य स्कूलों में भेज दिया गया है।

डेलकी खड़िया समाज ने उठाए सवाल : सुंदरगढ़ जिला डेलकी खड़िया समाज के सुंदरगढ़ जिला महासचिव अर्जुन नायक ने कहा कि जिले में अनेक जनजातीय भाषा भाषी लोग निवास करते हैं। इनकी भाषा, संस्कृति एवं परंपरा अलग अलग है। सरकार की ओर से इनकी पहचान भी ठीक तरह से नहीं की जा रही है। खड़िया जाति में ही डेलकी खड़िया, बुध खड़िया, पहाड़ी खड़िया, मुंडा खड़िया, खड़ियान, ओराम खड़िया हैं। इनमें अंतर होने के बावजूद एक भाषा खड़िया मान कर थोपने का प्रयास किया जा रहा है।

मातृभाषा में बच्चों को शिक्षा देने की सरकार की योजना मजाक बन गई है। आदिवासियों के विकास के लिए बहुभाषी स्कूल खोलने का दावा किया जा रहा है पर इसके प्रति सरकार व शिक्षा विभाग की दिलचस्पी नहीं है। ऐसे में सभी बहुभाषी स्कूल बंद होने के कगार पर हैं। सरकार को भाषा आधारित शिक्षा पर ध्यान देना होगा।


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