बगैर इंटरनेट के हो सकेगी मोबाइल बैंकिग
देश में अधिकतर लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं एवं उन क्षेत्रों में इंटरनेट मोबाइल नेटवर्क नहीं होता है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : देश में अधिकतर लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं एवं उन क्षेत्रों में इंटरनेट मोबाइल नेटवर्क नहीं होता है। इस परिस्थिति में 50 फीसद लोग मोबाइल नेटवर्क सुविधा से वंचित हो जाते हैं। राउरकेला के प्रतीक अग्रवाल एवं समीर दास व मुंबई के निर्मेश राजगुरु ने स्टार्ट आप के जरिए आफ वालेट टेक्नोलाजी विकसित किया है। वेटाबिल्ड टेक्नोलाजी के नए एप आफ वालेट के जरिए बिना नेटवर्क के भी मोबाइल बैंकिग की जा सकती है। यह टेक्नोलाजी इंटरनेट नेटवर्क एरिया एवं नेटवर्क के बाहर भी एक दूसरे को जोड़ कर लेनदेन कर सकेगा। इसे पिछले साल पेटेंट ग्रांट भी मिल चुका है। इसके जरिए केवल डिजिटल पेमेंट के माध्यम से आर्थिक लेन देन ही नहीं बल्कि सरकार की समस्त सुविधा जैसे स्वास्थ्य सेवा, कृषि, आपातकालीन सेवा, ई-गवर्नेस, लॉजिस्टिक, रियल एस्टेट जैसे अन्य योजनाओं पर भी काम हो सकेगा। वैसे क्षेत्र जहां नेटवर्क की सुविधा नहीं है। वहां के लोगों को डिजिटल प्लेटफार्म में लाने के उद्देश्य से स्टार्ट अप बेटाविल्डस टेक्नोलाजी में यह टेक्नोलाजी विकसित किया है। यह टेक्नोलाजी एक तरह का क्रांतिकारी आविष्कार है जो विकास से दूर रहने वाले लोगों को नई दिशा देगा। प्रतीक अग्रवाल के साथ निर्मेश व समीर के आफ वालेट को पिछले साल पेटेंट ग्रांट मिला है। 2019 में एक पार्टनरशिप फर्म से इसकी शुरुआत की थी जिसे अब प्राइवेट कंपनी में तब्दील किया गया है। प्रतीक निर्माण क्षेत्र से जुड़े हैं जबकि समीर कंपनी के तकनीकी परामर्शदाता हैं और निर्मेश सीईओ हैं। निर्मेश को बिजनेस डेवलपमेंट, इनरनेशन सेल्स में 24 साल का अनुभव है। इस बीच स्टार्ट अप ओडिशा, स्टार्ट अप इंडिया, अटल इंक्यूवेशन सेंटर, नालंदा इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड फाउंडेशन भुवनेश्वर, यूएनडीपी के द्वारा भी इनकी प्रशंसा की गई है। इन्हें नेशनल प्रोडक्ट कान्क्लेव नासकॉम आयोजित इंडिया फिनटेक अवार्ड विजेता होने के साथ ही काज इंपैक्ट सृजनी फिन ब्लू एसटीपीआइ, अमेजॉन, संभव उद्योगी एवं लेमन आइडियाज प्रकाशित 15 राज्य में श्रेष्ठ 60 हिडेन जुएल तालिका में भी शामिल है। डिजिटल इंडिया के प्रयास से देश में तृणमूल स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर कंपनी की नींव डाली गई।
ऐसे हुई आविष्कार की शुरुआत : नए आविष्कार के पीछे भी एक रोचक कहानी प्रतीक ने बतायी है। 2016 में वे अपने गांव गए थे। वहां नेटवर्क नहीं होने के कारण चार पांच किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। जरूरत पड़ने पर अपने रिश्तेदारों के पास राशि भेजने में भी कई तरह की समस्या होती थी। इसके बाद उसने अपने दोस्त निर्मेश एवं समीर के साथ इस समस्या के समाधान का रास्ता निकालने पर बातचीत की। कई गांवों में जाने पर देखा की यह समस्या गंभीर है। इसके बाद खोज जारी रखा एवं अंत में इसका समाधान भी निकल गया। केवल मैसेज के माध्यम से असंभव को संभव बना दिया गया। व्यक्ति इनरनेट कवरेज क्षेत्र से बाहर होने के बावजूद इस तकनीक से लेनदेन कर सकता है। इस मुकाम तक पहुंचने कड़ी मेहनत एवं प्रतिकूल परिस्थिति का भी सामना करना पड़ा। आगे पांच मिलियन उपभोक्ताओं के लिए प्रोजेक्ट तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। उच्च कोटि की तकनीक एवं दक्षता बढ़ाने के लिए पूंजी की आवश्यकता है। इसके लिए वे स्ट्रेटेजिक पार्टनर या एजेंट की तलाश कर रहे हैं।
परिचय : पिता बजरंगलाल अग्रवाल एवं मां सरिता अग्रवाल के पुत्र प्रतीक 1998 में पिता के देहांत के बाद राउरकेला आए। राउरकेला में रिश्तेदार के घर रहकर इंडो इंग्लिश स्कूल से 2001 में मैट्रिक पास करने के बाद स्थानीय म्यूनिसिपल कालेज में इंटर व स्नातक की पढ़ाई 2006 में पूरी की। इसके बाद राउरकेला में ही ब्राह्मणी डेवलपर में नौकरी करते हुए सिबायोसिस सेंटर फॉर डिस्टेंट लर्निंग पुणे से एमबीए की डिग्री ली।