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खुद से प्यार करने का अपराधबोध न पालें: महापात्र

खुद से प्यार करना कभी खुदगर्जी नहीं होती। हमारे यह खुद को

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 May 2019 11:40 PM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 11:40 PM (IST)
खुद से प्यार करने का अपराधबोध न पालें: महापात्र
खुद से प्यार करने का अपराधबोध न पालें: महापात्र

जागरण संवाददाता, राउरकेला : खुद से प्यार करना कभी खुदगर्जी नहीं होती। हमारे यह खुद को प्यार करने को स्वार्थी माना जाता है जो गलत है। इसे कुछ इस तरह समझना चाहिए कि अगर आपके पास पांच रुपये होंगे तभी तो आप किसी को एक रुपये दे पाएंगे। उसी तरह जब आप खुद से प्यार करेंगे तभी तो किसी और से प्यार कर पाएंगे। स्वस्थ रहने को सबसे बड़ा मूलमंत्र यही है। उक्त बातें डा विश्वजीत महापात्र ने शनिवार को पंथनिवास में अपनी किताब केयर फोर योर हेल्थ के विमोचन पर कही। इस दौरान डा महापात्र से उनकी किताब के बारे में जानेमाने लेखक व राउरकेला इस्पात संयंत्र के डीजीएम(पीआर) रमेंद्र कुमार ने बातचीत की। डा महापात्र ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य पर ज्ञान देने का ठेका एक तरह से बाबाओं ने ले लिया है। वहीं अपने तरीके से अलग-अलग मंच से स्वास्थ्य व स्वस्थ रहने के तरीकों पर बातचीत करते हैं। दरअसल यही सब देखकर एहसास हुआ कि क्यों न इस तरह की एक किताब लिखी जाए जिसमें बीमारी या दवा का जिक्र न हो बल्कि स्वस्थ कैसे रहा जाए इस पर ज्यादा फोकस हो। जिसके बाद डा महापात्र ने अपने विचारों को किताब की शक्ल दी। किताब आने के बाद आनलाइन शॉपिग साइट एमेजन में अब तक इसकी 1800 प्रतियां बिक चुकी हैं। डा. महापात्र ने आगे कहा कि अमूमन चिकित्सक केवल बीमारी व दवा के बारे में बात करते हैं यह किताब उससे एक कदम आगे है। अपने जीवनशैली में हल्का बदलाव कर कोई भी इंसान बीमारियों को दूर रख सकता है। इसके लिए जीवनशैली में कैसे बदलाव लाया जाए इसी का जिक्र किताब में है। उन्होंने बताया कि 1998 में जब उन्होंने प्रैक्टिस शुरू की तो वे औसतन रोजाना 7 से 8 सर्जरी किया करते थे। इसे करने के लिए उन्हें पूरा दिन काम में लगे रहना होता था। यह सबकुछ चल रहा था कि अचानक उन्हें एहसास हुआ कि इतनी ज्यादा सर्जरी कर वे किसी का भला नहीं कर रहे। क्योंकि जबतक काम का दायरा तय नहीं हो तबतक उसमें गुणवत्ता नहीं आ पाती। लिहाजा उन्होंने प्राथमिकताएं तय की और सबसे पहले अति महत्वपूर्ण केस की सर्जरी पहले और जिसे अगले दिन किया जा सकता है उसे अगले दिन करने का निर्णय लिया। इसका फायदा मिला और काम बेहतर तरीके से हुआ। किताब में यही तकनीकी बारीकियां साझा की गयी है कि कैसे बगैर तनाव लिए काम को पूरी इमानदारी व निष्ठा से किया जा सकता है साथ ही एक स्वस्थ जीवन भी जीया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग भी यह कहते हैं कि उनके पास समय नहीं है दरअसल वे खुद से झूठ बोल रहे होते हैं। जब आप समय को अलग-अलग कार्य के लिए तय कर देते हैं तो किसी तरह की दिक्कत नहीं आती है। इसमें सोने से लेकर खाने, काम, मनोरंजन, वर्कआउट, परिवार सबकुछ शामिल है। कार्यक्रम का संचालन डा पूजा पति ने किया। जबकि अन्यों में राउरकेला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश बल, पूर्व डीजीएम नारायण पति, समाजसेवी व उद्यमी पद्मिनी पाणीग्राही, हृषिकेश राय कालेज के प्राचार्य भावेश चंद्र साहु आदि मौजूद थे।

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