नाटक के जरिए जीवंत किया सीता हरण प्रसंग
नाट्य संस्था स्पंदन एवं राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) की ओर से सिविक सेंटर में आयोजित नाटक व नृत्य उत्सव में पांचवी शाम मणिपुरी नाटक स्वर्ण मृग एवं लक्ष्मण रेखा का मंचन किया गया।
राउरकेला, जेएनएन। नाट्य संस्था स्पंदन एवं राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) की ओर से आयोजित अखिल भारतीय बहुभाषी नाट्क व नृत्य उत्सव की पांचवीं शाम को मणिपुर के ओंगाइ ड्रामाटिक सोसाइटी के कलाकारों ने लक्ष्मण रेखा नाटक का मंचन कर सीता हरण कथा को जीवंत कर दिया। सोइ वामचा इंद्र कुमार द्वारा रचित एवं निर्देशित रामायण के बहुचर्चित स्वर्ण मृग एवं लक्ष्मण रेखा पर इस नाटक में समाज की तमाम परिस्थिति को दर्शाया गया।
कहानी में दर्शाया गया कि शाम का समय था एवं स्वर्ण मृग पंचवटी जंगल में आता है। मृग को पकड़ने के लिए सीता जिद करती हैं और अंतत: उनकी बातों में आकर मर्यादा पुरुषोत्तम राम को मृग के शिकार के लिए जाना पड़ता है। कुछ समय बाद श्रीराम का करुण स्वर सुनायी देता है इसके बाद पंचवटी में कुटिया की पहरेदारी कर रहे लक्ष्मण को भी भाई की रक्षा के लिए सीता जबरन भेजती हैं। लक्ष्मण उन्हें छोड़ कर जाते समय कुटिया के चारों ओर रेखा खींच कर जाते हैं इसके बावजूद सीता उसका उल्लंघन करती है और रावण को बाहर आकर भीख देती है, इससे उनका हरण हो जाता है।
सीता ने भले ही गलती की हो पर दोनों भाई प्रतिज्ञा करते हैं कि दुष्ट रावण से युद्ध कर सीता को मुक्त कराएंगे। कहानी रामायण की है पर इसे कलाकारों ने काफी जीवंत एवं अलग तरह से मंचन कर दर्शकों का मन मोह लिया। इस अवसर पर युगल नृत्य प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। अद्वैत महांती व अनन्या महांती, तुलसी केरकेटटा व शिवानी पंडा तथा श्रीया बेहुरा व इप्सिता दास, अन्वेषा बसाक व लोपमुद्रा प्रधान प्रथम व द्वितीय पुरस्कार के लिए चुने गए। जूरी पुरस्कार के लिए आयुष कुमार कर और सौम्यराणा को चुना गया।