मणिपुरी नाटक 'लांपी' ने जीता दिल
लिबर्टी थियेटर मणिपुर की ओर से मंचित नाटक की कहानी में लांपी एक अनाथ बालिका होती है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय एवं राउरकेला इस्पात संयंत्र के सहयोग से आयोजित राष्ट्रीय पूर्वोत्तर नाट्य समारोह में गुरुवार की शाम को मणिपुरी नाटक 'लांपी' का मंचन किया गया। बुद्ध ¨चगथाम द्वारा लिखित तथा निओरेम उत्तम कुमार के द्वारा निर्देशित नाटक में कलाकारों ने दर्शकों के दिलों को जीत लिया। लिबर्टी थियेटर मणिपुर की ओर से मंचित नाटक की कहानी में लांपी एक अनाथ बालिका होती है। उसके जन्म से पूर्व ही गांव के लोगों ने एक घटना को लेकर उसे माता-पिता को मृत्युदंड देने की घोषणा करते हैं।
लांपी के जन्म के बाद ही उसकी मां को मृत्युदंड दिया जाता है। गांव के लोग ही नवजात लांपी का पालन पोषण करते हैं। युवा अवस्था आने पर परंपरा के अनुसार गांव के लोग उसे गांव के देवता को समर्पित कर देते हैं। इसके बाद लांपी किसी और से शादी नहीं कर सकती थी। लांपी को गांव के प्रवेश द्वार पर प्रहरी के पद पर नियुक्त किया जाता है। अबला पर सबलों का अत्याचार जारी रहता है।
एक दिन पहरेदारी के दौरान खुलेइ नामक योद्धा गांव में प्रवेश करने की कोशिश करता है तब लांपी उसे रोकती है। रात के समय गांव में किसी के प्रवेश की अनुमति नहीं होने की बात कहने पर योद्धा को गांव के द्वार पर ही रात गुजारना पड़ता है। तब से लांपी की परेशानी और बढ़ जाती है। योद्धा की बातों पर आकर लांपी भी अत्याचार के विरोध में आवाज उठाने के लिए तैयार हो जाती है। दोनों एक दूसरे को चाहने लगते हैं पर यदि शादी कर लें तो दोनों की जान जाएगी और नहीं करने जीवन व्यर्थ हो जायेगा। सोच विचार कर लांपी योद्धा से शादी कर लेती है। इसी कहानी पर आधारित नाटक में कलाकारों ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।