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महाबंद व बारिश ने रोकी शहर की रफ्तार

पश्चिम ओडिशा को अलग कोसल राज्य की मान्यता देने की मांग पर क

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 11:49 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 11:49 PM (IST)
महाबंद व बारिश ने रोकी शहर की रफ्तार
महाबंद व बारिश ने रोकी शहर की रफ्तार

जागरण संवाददाता, राउरकेला: पश्चिम ओडिशा को अलग कोसल राज्य की मान्यता देने की मांग पर कोसल राज्य समन्वय समिति की ओर से आहूत पश्चिम ओडिशा महाबंद समेत दक्षिण भारत में फेथाई तूफान के प्रभाव से हुई बेमौसम की बारिश ने सोमवार को शहर की रफ्तार रोक दी। वैसे राउरकेला महानगर में महाबंद का असर से ज्यादा बेमौसम की बारिश का असर ज्यादा रहा। इस दौरान शहर में स्कूल कॉलेज से लेकर दुकान-बाजार, बैक खुले रहे, लेकिन पेट्रोल पंप बंद रहे। हालांकि वेदव्यास, लाठीकटा, कुआरमुंडा समेत राउरकेला मे भी पिके¨टग कर बंद को सफल बनाने का प्रयास किया, लेकिन राउरकेला में इसका कुछ खास असर नहीं देखा गया। लेकिन शहर से संबलपुर, सुंदरगढ़, राजगांगपुर व अन्य स्थानों के लिये चलने वाली लोकल बसों के पहिए थमे रहे।

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कोसल राज्य समन्वय समिति की ओर से अलग कोसल राज्य की मांग पर आहूत पश्चिम ओडिशा बंद को लेकर वेदव्यास, लाठीकटा, कुआरमुंडा समेत राउरकेला में भी पिके¨टग की गई। लेकिन वेदव्यास में टायर जलाकर पथावरोध करने से वहां पर बंद का कुछ ज्यादा ही असर नजर आया। वैसे कोसल राज्य समन्वय समिति के केंद्रीय पदाधिकारी रामचंद्र अमात ने महाबंद की सफलता का दावा किया। वहीं महाबंद का समर्थन करने के लिए अंचल की जनता के प्रति आभार जताया है। इस महाबंद को लेकर बेलडीही में संजय टोप्पो, कार्तिक मल्लिक, लाठीकटा में हैदर अली, शंकर साहु, कुआरमुंडा में सागर साहु, फिरोज राउडिया, राउरकेला में त्रिनाथ सुना तथा वेदव्यास में हृदयानंद बेहरा, फिलमन टोप्पो, मनोज राउडिया, प्रताप विश्वकर्मा तथा शंकर राव की अगुवाई में बंद समथर्कों ने सक्रिय भूमिका निभाई। महाबंद के दौरान शहर में फेथाई तूफान के प्रभाव से सुबह से शुरू रिमझिम बारिश के दौर ने भी शहर की रफ्तार को सुस्त रखा। बारिश के कारण ठंड भी बढ़ने से दुकान-बाजार में लोग आग तापते हुए सर्दी से बचने का प्रयास करते नजर आये तो कुछ लोग ठंड से बचने के लिये चाय सुड़कते नजर आये। महाबंद तथा बारिश के बीच शहर में स्कूल-कॉलेज भी खुले रहे, जिसमें बारिश से बचने के लिए छात्र-छात्राएं छाता लेकर या रेनकोट पहनकर स्कूल-कॉलेज पहुंचे थे। हालांकि महाबंद का आह्वान तथा बारिश के कारण इन स्कूलों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति कम ही रही।


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