Move to Jagran APP

लैंपस व मिलर की सांठगांठ से किसान शोषण के शिकार

राज्य सरकार की ओर से किसान लैंपस में आकर धान बेच सकें।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 09:51 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 09:51 PM (IST)
लैंपस व मिलर की सांठगांठ से किसान शोषण के शिकार
लैंपस व मिलर की सांठगांठ से किसान शोषण के शिकार

जागरण संवाददाता, राउरकेला : राज्य सरकार की ओर से किसान लैंपस में आकर धान बेच सकें। इसके लिए टोकन व्यवस्था लागू की गई है। सुंदरगढ़ जिले में टोकन मिलने के बाद भी किसान लैंपस में खुले मंडी में धान नहीं बेच पा रहे हैं। सैकड़ों क्विंटल धान मंडी में पड़ा है। लैंपस प्रबंधन व मिलर की मिलीभगत के कारण जहां छोटे किसान शोषण का शिकार हो रहे हैं। बिचौलियों के जरिए बाहर से सस्ते में धान खरीद कर लैंपस में सरकारी दाम में बेच कर भी राशि की हेराफेरी की जा रही है।

prime article banner

सुंदरगढ़ जिले से इस साल 12 लाख क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया था। 44 लैंपस के जरिए धान की खरीदकर 14 मिलर को देना है। इस साल धान की फसल अच्छी हुई है। इसका लाभ किसानों को मिलना चाहिए पर मिलर एवं लैंपस प्रबंधन की मिलीभगत के चलते बिचौलिये मालामाल हो रहे हैं। दलाल पांच एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को मिला टोकन प्राप्त कर ले रहे हैं। इसके बाद झारखंड व छत्तीसगढ़ के किसानों से 10 से 12 रुपये प्रति किलो की दर पर पुराना धान खरीद कर मंडी में 18 रुपये की दर से बेच रहे हैं। जिले में ऐसा एक गिरोह सक्रिय है जो बिचौलियों, मिलर एवं लैंपस के बीच काम कर रहा है। कलुंगा लैंपस के करीब पांच सौ किसानों को धान बिक्री के लिए टोकन मिला है। प्रत्येक किसान 50 क्विंटल तक धान बेच सकते हैं। 23 दिसंबर से मंडी में धान पड़ा है पर एक महीने बाद भी उसे खरीदने की व्यवस्था नहीं हुई है। खुले में पड़ा धान बर्बाद हो रहा है। लैंपस की मंडी में धान बेचने के लिए किसानों को टोकन भी मिल रहा है पर उन्हें बारी आने तक इंतजार करने की बात कहकर लौटा दिया जा रहा है। जो किसान दबाव डाल रहे हैं उन्हें मिल पहुंचाकर धान देने को कहा जा रहा है। लैंपस में प्रति बोरी तीन किलो कटौती की जाती है जबकि मिल में पांच किलो कटौती की जा रही है। इससे भी किसानों को नुकसान हो रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.