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बंद पड़ी है किरेई सूत मिल, मजदूर संघ करेगा पथावरोध

सुंदरगढ़ जिले के किरेई स्थित सूत मिल के बंद होने से 12 सौ से अधिक श्रमिक व कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। 1993 में इसका निजीकरण किया गया एवं अशोका सिथेटिक को हस्तांतरित किया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 07:20 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 07:20 AM (IST)
बंद पड़ी है किरेई सूत मिल, मजदूर संघ करेगा  पथावरोध
बंद पड़ी है किरेई सूत मिल, मजदूर संघ करेगा पथावरोध

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले के किरेई स्थित सूत मिल के बंद होने से 12 सौ से अधिक श्रमिक व कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। 1993 में इसका निजीकरण किया गया एवं अशोका सिथेटिक को हस्तांतरित किया गया। 2014 से श्रमिकों का पीएफ जमा नहीं हो रहा है। 2017 में सरकार की अनुमति के बगैर अवैध तरीके से मिल को बंद कर दिया गया है। अपनी मांगों को लेकर अशोका सिथेटिक मजदूर संघ की ओर से पथावरोध करने की चेतावनी दी है।

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किरेइ स्थित सूत मिल को खोलने एवं श्रमिकों की समस्या के समाधान के लिए जिला प्रशासन की ओर से बार-बार भरोसा दिया जा रहा है पर इसके समाधान के लिए पहल नहीं की जा रही है। इससे श्रमिकों की आर्थिक हालत दयनीय हो गई। अशोक सिथेटिक मजदूर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष श्याम सुंदर मिश्र की अध्यक्षता में बैठक हुई एवं आंदोलन की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया। 1983-84 में राज्य सरकार की ओर से 60.11 एकड़ सरकारी जमीन पर सूत मिल की स्थापना की गई थी। त्रुटिपूर्ण प्रबंधन के चलते इसकी आर्थिक हालत दयनीय हो गई। 1993-94 में इस संयंत्र का निजीकरण किया गया एवं 2017 को इसे बंद कर दिया गया। श्रमिक संघ की ओर से जिलापाल से लेकर मुख्यमंत्री तक का इस ओर ध्यान आकृष्ट किया गया पर सफलता नहीं मिली। जिलापाल निखिल पवन कल्याण की पहल पर 15 फरवरी 2021 को मिल के पूर्व निदेशक पवन पटोदिया, राउरकेला ईपीएफ कमिश्नर, राउरकेला डिप्टी लेबर कमिश्नर, अशोक सिथेटिक मजदूर संघ को लेकर बैठक हुई थी। मालिक की ओर से मिल को फिर से चलाने एवं बकाया व पीएफ तथा सूद समेत छह करोड़ रुपये की बात कही थी। इसका उल्लंघन होने पर श्रम विभाग की ओर से कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी। 30 अक्टूबर को सदभावना भवन में एडीएम विश्वजीत महापात्र की अध्यक्षता में मिल प्रबंधन, श्रमिक संगठन तथा श्रम विभाग व लिक्यूडेटर को लेकर वार्ता हुई। इसमें भविष्य निधि की राशि पाने के लिए लिक्यूडेटर की ओर से एक कर्मचारी को नियुक्ति दी गई। फिर इस मामले को एनसीएलटी अदालत में भेजने का प्रस्ताव दिया गया। इसके बाद श्रमिकों में मिल खुलने की उम्मीद थी पर अब तक इस दिशा में पहल नहीं होने से श्रमिकों में असंतोष देखा जा रहा है।


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