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संस्कृति ही आदिवासियों की पहचान : जुएल

सरना नवयुवक संघ तथा आरएसपी की ओर से भंज भवन में गुरुवार क

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 06:30 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 06:30 PM (IST)
संस्कृति ही आदिवासियों की पहचान : जुएल
संस्कृति ही आदिवासियों की पहचान : जुएल

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सरना नवयुवक संघ तथा आरएसपी की ओर से भंज भवन में गुरुवार की शाम को आयोजित करमा पूर्व संध्या के समापन समारोह में मुख्य अतिथि केंद्रीय जनजातीय कार्यमंत्री जुएल ओराम ने कहा कि परंपरा व संस्कृति ही आदिवासियों की पहचान है। इसके बगैर आदिवासी जीवित नहीं रह सकता है। उन्होंने विकास के दौर में अपनी संस्कृति को भी बचाए रखने का आह्वान किया।

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ओराम ने कहा कि आदिवासियों के विकास के लिए केंद्र सरकार का अलग बजट है। इससे विकास तेजी से हो रहा है एवं आदिवासी अपनी पहचान को भी भूलने लगे हैं। उन्होंने सभी जनजाति स्कूलों में कुरुख भाषा की पढ़ाई शुरू करने पर भी जोर दिया। कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि झारखंड के राज्य सभा सदस्य समीर ओराम ने कहा कि आदिवासी देश के विकास की मुख्य धारा में पीछे चल रहे हैं। संविधान में मिले अधिकार तथा सुविधाओं का पूरा उपयोग होने पर ही वे आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी अपनी भाषा, संस्कृति, परंपरा एवं विश्वास से एक दूसरे से जुड़े हैं। पाटलीपुत्र मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. नारायण ओराम ने कहा कि आदिवासियों का नाच गान, गीत की पहचान लुप्त होती जा रही है जिसे बचाने की जरूरत है। झारखंड में कुरुख भाषा की पढ़ाई होने से लोग संस्कृति व भाषा के प्रति जागरूक हो रहे हैं। आडिशा नाट्य संघ के उपाध्यक्ष प्रकाश महाराणा ने नाटक में समर्पण भाव की जरूरत पर बल दिया। इस मौके पर बिरसी बाड़ा को सरना शक्ति, सलखू मरांडी को सरना शिल्पी, झारियो केरकेटा को सरना रत्न, दीप्तिरंजन दास को सरना बंधु, प्रकाश महाराणा को सरना ज्योति सम्मान प्रदान किया गया। सरना नवयुवक संघ के मुखपत्र हरियारी का विमोचन भी अतिथियों के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में झारखंड, ओडिशा व छत्तीसगढ़ से आए 39 नृत्य दलों को भी स्मृति चिन्ह व मानपत्र दिया गया। इसके आयोजन में खुदिया लकड़ा, सुशील खलको, बुदू केरकेटा, नेहरु ¨मज, एस एक्का, सुस्मिता बाड़ा, एम खलको, धनेश्वर तिर्की आदि लोगों ने अहम भूमिका निभायी।


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