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श्रद्धा से पूजे गए करम देव, रात भर चला नाच गान

भादो एकादशी पर लोक पर्व करमा के मौके पर राउरकेला एवं आसपास के क्षेत्रों में करम देव की पूजा श्रद्धा के साथ की गई। व्रतियों ने दिन भर निर्जला उपवास किया एवं शाम को घरों व अखाड़ों में करम देव को स्थापित कर करम कथा सुनी एवं पूजा-अर्चना की।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 09:19 AM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 09:19 AM (IST)
श्रद्धा से पूजे गए करम देव, रात भर चला नाच गान
श्रद्धा से पूजे गए करम देव, रात भर चला नाच गान

जागरण संवाददाता, राउरकेला : भादो एकादशी पर लोक पर्व करमा के मौके पर राउरकेला एवं आसपास के क्षेत्रों में करम देव की पूजा श्रद्धा के साथ की गई। व्रतियों ने दिन भर निर्जला उपवास किया एवं शाम को घरों व अखाड़ों में करम देव को स्थापित कर करम कथा सुनी एवं पूजा-अर्चना की। इस मौके पर करम डाल को छूकर अपने कर्म व भाई के धर्म की शपथ ली। पूजा के बाद रात भर नाच गान कर अखाड़ों में जागरण किया गया। सुबह करम देव के विसर्जन के साथ ही इसका समापन हुआ।

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लाठीकटा अतखा पड़हा की ओर से प्रकृति पूजकों ने महान लोक पर्व करमा के मौके पर करम पूजा की गई। अखाड़े में करम देव को स्थापित कर परंपरागत ढंग से पूजा अर्चना करने के साथ ही करम देव की कथा सुनाई गई। पड़हा के अध्यक्ष चावा खलको की अगुवाई में यहां कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें सचिव बांदे मिज, मधु ओराम, एतवा मिज, चुलू मिज, अजय मिज, बिचा मिज, बुदू ओराम, समरा ओराम, सनका ओराम, अनूप खलको, मुकुद मिज, प्रवीण तिग्गा, विश्वनाथ मिज, सुमित्रा मिज, पार्वती ओराम, नेहा मिज, पानिया तिग्गा, फूल मिज, प्रगति तिग्गा, कविता तिग्गा, आशा तिग्गा समेत अन्य लोगों ने अहम भूमिका निभाई। जगदा में अखड़ा में करमा पूजा की गई। पहान तुरिया ओराम ने करम देव की कथा सुनाई। इसमें पड़हा से जुड़े मनीलाल केरकेटटा, करमा किस्पोटा, सुरा ओराम, महादेवी तिर्की, महाली ओराम, बुरुंगा ओराम, जोगिया धनवार समेत आदि लोग शामिल थे। झीरपानी और राउरकेला के ओरामपाड़ा में भी परंपरागत तरीके से अखड़ा में करम देव की पूजा की गई। इसी तरह नया बाजार, गोपबंधुपल्ली, टिबर कालोनी, मधुसूदनपल्ली, गंगाधरपल्ली, बिरजापल्ली, रेलवे कालोनी, छेंड कालोनी, पानपोष बस्ती, रुप टोला बस्ती, बालू घाट, तरकेरा बस्ती, देवगांव, जलदा, फर्टिलाइजर, जगदा आदि क्षेत्रों में भी परंपरागत तरीके से करम देव की पूजा हुई। घरों में कुंवारियों व नव विवाहिताओं ने करम देव को स्थापित कर पूजा अर्चना की।


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