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देहरी लांघ कर फलक में परचम लहरा रहीं महिलाएं

यहां सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में दर्जनों महिलाएं ऊंचे पदों पर न सिर्फ काम कर रही हैं, बल्कि नाम भी रोशन कर रही हैं।

By BabitaEdited By: Published: Thu, 08 Mar 2018 03:02 PM (IST)Updated: Thu, 08 Mar 2018 03:07 PM (IST)
देहरी लांघ कर फलक में परचम लहरा रहीं महिलाएं
देहरी लांघ कर फलक में परचम लहरा रहीं महिलाएं

राउरकेला, जेएनएन। महिलाएं अब घरों में सिमट कर रहना नहीं चाहतीं। उड़ान भरना चाहती हैं। हर क्षेत्र में कामयाबी का परचम फहराना चाहती हैं। उनकी दुनिया तेजी से बदल रही है। इसकी बानगी राउरकेला में कोई भी देख सकता है। यहां सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में दर्जनों महिलाएं ऊंचे पदों पर न सिर्फ काम कर रही हैं, बल्कि नाम भी रोशन कर रही हैं। आइए, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मिलते हैं कुछ ऐसी ही महिलाओं से

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इवेंट मैनेज कर रही शीतल

शीतल रूंगटा इवेंट मैनेज करती हैं। दो बेटियों की मां शीतल न केवल अपने घर का बल्कि अपने काम का भी कुशलता से नेतृत्व कर रही हैं। नाम के अनुरूप बेहद कूल स्वभाव की शीतल पर दोनों बेटियों की जिम्मेदारी है। बगैर हार माने उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया और इवेंट मैनेज करने लगी। शुरुआती संघर्ष के बाद अब वे इस क्षेत्र में बड़ी नाम बनकर उभरी हैं। उनके पास काम की कमी नहीं और 20 से अधिक पेशेवरों की टीम को वे लीड कर रही हैं। शीतल बताती हैं उन्हें घर व बाहर के काम को बैलेंस करने में कोई खास परेशानी नहीं होती। दोनों जगहों पर संतुलन बनाकर वे अपनी जिम्मेदारी आसानी से निभा लेती हैं। बकौल शीतल किसी महिला के लिए घर से बाहर निकलकर काम करना बेहद मुश्किल होता है। समाज अभी भी पुरुषों से महिलाओं को कमजोर ही मानता है लेकिन अच्छी बात है कि धीरे-धीरे इस सोच में बदलाव आ रहा है। 

विदेशी मुद्रा डील कर रहीं अंजना 

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया मुख्य शाखा राउरकेला में विदेशी मुद्रा की डीलिंग करने वाली अंजना अरफिन तीस सालों से अपनी सेवाएं दे रही हैं। पति शम्सुल अरफिन रेलवे सुरक्षा बल के सहायकसुरक्षा आयुक्त हैं। अकसर तबादले के कारण उन्हें अलग-अलग जगहों पर सेवाएं देनी होती थी। इस दौरान दो बच्चों की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही उन्हें अपने काम पर भी फोकस करना होता था। दोहरी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए उन्होंने अपने काम से सीनियर्स को प्रभावित भी किया। एसबीआइ मुख्य शाखा में अंजना बेहद महत्वपूर्ण कार्य का निष्पादन करती हैं। वे बताती हैं कि जब अपने काम का शेड्यूल तय हो जाता है तो फिर परेशानी नहीं आती। पेशेवर जीवन व

घर को साथ-साथ लेकर भी चला जाता है जिसे बैलेंस करने में कोई खास कठिनाई नहीं आती।

कोल्ड स्टोरेज चला रहीं वंदना

कृषि प्रधान और आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले के बणई अनुमंडल में कोल्ड स्टोरेज खोलकर किसानों के उत्पादों को संरक्षित करने का काम कर रही वंदना टिबड़ेवाल ने ऐसे समय यह कार्य किया जब सरकारी मदद के बावजूद कोई कोल्ड स्टोरेज शुरु नहीं कर रहा। करीब 15 लोगों की टीम को मैनेज करने वाली वंदना कृषि क्षेत्र को अपना करियर बनाकर काम कर रही हैं। वंदना बताती हैं कि यह करना इतना आसान नहीं था। घर की जिम्मेदारियों से इतर एक ऐसे क्षेत्र में काम करना जो पूरी तरह से नया हो और एक पूरी टीम को मैनेज करना काफी मुश्किल काम था। लेकिन संतुलित रूप से दोनों काम हो रहे हैं। 

वंदना बताती हैं कि महिलाओं के लिए अभी भी राहें आसान नहीं हुई है। उन्हें पेशेवर जीवन में आने पर दोहरी जिम्मेवारी निभानी पड़ती हैं। जबकि पुरुष के साथ ऐसा नहीं है। हालांकि युवा इसे अब तोड़ रहे हैं। नयी पीढ़ी महिलाओं के साथ ज्यादा का आपरेट कर रहे हैं। उनके अंदर ऐसी कोई सोच नहीं है कि घर व बच्चे केवल

महिलाओं की जिम्मेवारी है।


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