ओडिशी नृत्य संस्कृति विश्व में विरल : पाढ़ी
पश्चिम ओडिशा की अग्रणी कला संस्थान श्री सिद्धि अकादमी आफ आर्ट की ओर से आयोजित दो दिवसीय हेमंत उत्सव के समापन पर सिविक सेंटर में ओडिशी संगीत की शास्त्रीयता पर सेमीनार आयोजित किया गया। जिसमें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नृत्य संगीत अनुसंधानकर्ता डा. कीर्तन नारायण पाढ़ी ने कहा कि ओडिशी संगीत की खूबियों पर प्रकाश डाला और कहा कि यह विश्व में विरल संगीत है। रविवार को दो चरणों में समारोह संपन्न हुआ।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : पश्चिम ओडिशा की अग्रणी कला संस्थान श्री सिद्धि अकादमी ऑफ आर्ट की ओर से आयोजित दो दिवसीय हेमंत उत्सव के समापन पर सिविक सेंटर में ओडिशी संगीत की शास्त्रीयता पर सेमीनार आयोजित किया गया। जिसमें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नृत्य संगीत अनुसंधानकर्ता डा. कीर्तन नारायण पाढ़ी ने ओडिशी संगीत की खूबियों पर प्रकाश डाला और कहा कि यह विश्व में विरल संगीत है। रविवार को दो चरणों में समारोह संपन्न हुआ।
पहले सत्र में आयोजित संगोष्ठि में कटक से आए प्रख्यात गीति कवि उपेंद्र नाथ पात्र ने साहित्य समाज के गठन पर जोर दिया वहीं सचिव आदित्य प्रताप धल ने उत्कल गीति पर प्रकाश डाला। अध्यक्ष तारणीचरण साहू आदि लोगों ने ओडिशी संगीत व वाद्य यंत्रों को 15 हजार साल पुराना बताया। जर्मन के हाइडलेवर्ग विश्व विद्यालय ने ओडिशा के क्योंझर से प्राप्त पत्थर के वाद्य यंत्र की जांच कर इसे प्रमाणित किया है। दूसरे चरण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आरएसपी के कार्यपालक निदेशक दिलीप महापात्र मौजूद थे। इसमें विश्व स्तरीय क्लारियोनेट वादक नरसिंहलू बड़ावती को इस समारोह में सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में कवि चंद्र कला केंद्र के विद्यार्थियों के द्वारा ओडिशी वृंद गायन प्रस्तुत किया गया। प्रसिद्ध ओडिशी संगीत शिल्पी आशा लता षाड़ंगी के भावांग तथा बीणा रथ के नाट्यांग से दर्शक मुग्ध हुए। गुरु मीनाकांत राउतराय के द्वारा ओड़िसी संगीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में अकादमी के अध्यक्ष सुनील कयाल भी मौजूद थे। कार्यक्रम के अंत में उपाध्यक्ष रश्मिरंजन दास ने धन्यवाद ज्ञापित किया।