ओडिशा की पैड वूमन है पायल पटेल
बालीवुड मूवी 'पैड मैन' ने देश में माहवारी व सेनिटरी पैड्स नैपकिन पर चर्चा को पर्दे से निकालकर खुलकर चर्चा का विषय बना दिया है।
मुकेश सिन्हा, राउरकेला: बालीवुड मूवी 'पैड मैन' ने देश में माहवारी व सेनिटरी पैड्स नैपकिन पर चर्चा को पर्दे से निकालकर खुलकर चर्चा करने का विषय बना दिया। मूवी 2018 में आयी लेकिन इसके दो साल पहले 2016 में ही ओडिशा में पायल पटेल अपना यह अभियान चला रही थी। पैड वूमन के रूप में चर्चित पायल ने न केवल महिलाओं में पैड के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता फैलाई बल्कि सस्ते पैड बनाकर उन्हें उपलब्ध भी कराया। झारसुगुड़ा जिला के किरमिरा ब्लॉक के बागडिही गांव की पायल पटेल अपने दिवंगत पिता प्रशांत के नाम से प्रशांत इंटरप्राइजेज के तहत सेनिटरी पैड बनाने वाली संस्था चलाती हैं। पिता की मौत के बाद पायल और उनका परिवार बिखर गया था। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उसके पिता की मौत हुई। पायल के पिता हमेशा उन्हें समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा देते थे। पिता के सपनों को साकार करने पायल ने समाज के लिए कुछ करने का दृढ़ निश्चय करते हुए सेनिटरी पैड बनाने की सोची, क्योंकि हर साल गंदे कपड़ों के इस्तेमाल से महिलाओं को कई तरह की बीमारियां होती थी। महिलाएं संक्रमण का शिकार होती थीं लेकिन डर था कि कहीं गांववाले इसका विरोध न करें। इसीलिए उसने अपनी मां से इस बारे में चर्चा की। पायल की मां ने उसका हौसला बढ़ाया। उसके बाद पायल ने पहले बेलपहाड़ स्थित ग्रामीण कर्म नियुक्ति संस्था फिर मुंबई में सेनिटरी पैड बनाने की तालिम ली। इस विषय में पायल कहती हैं कि 'मां के समर्थन बिना यह संभव नहीं था। मेरी मां ने ही मुझे तालीम लेने की हिम्मत दी'।
अब 70 प्रतिशत महिलाएं करतीं हैं पैड का इस्तेमाल : पायल बताती हैं कि मुंबई से तालीम लेने के बाद पैड बनाने वाली मशीन और अन्य सामग्री खरीदने के लिए उन्हें 12 लाख रुपये की जरूरत थी । उन्होंने बैंक से आठ लाख का लोन लिया और बाकी पैसे रिश्तेदारों से उधार लेकर प्रशांत इंटरप्राइजेज की नींव रखी। गांव में सिर्फ दो से तीन फीसद महिलाएं हीं पैड का इस्तेमाल करती थी लेकिन आज 70 फीसद महिलाएं इसका इस्तेमाल करती हैं। वह 'हाइजीन' नाम से पैड बनाकर सस्ती कीमत में बेचती है तथा महिलाओं में पैड के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता फैलाती हैं।
'खुशी' योजना में होना चाहती हैं शामिल
तेइस साल की पायल ने इतनी छोटी उम्र में ही बहुत बड़ा काम किया है लेकिन वह इसे काफी नहीं मानती है। पायल कहती हैं कि फिलहाल सस्ती कीमतों में हम सेनिटरी पैड बेच रहे हैं जिससे हमें नुकसान हो रहा है। अगर ओडिशा सरकार की 'खुशी' योजना में हमें शामिल कर लिया जाए तो हम 50 से 60 महिलाओं को रोजगार देने के साथ इस दिशा में और बेहतर कदम उठा सकेंगे। ओडिशा सरकार ने हर महीने 17 साल की छात्राओं को मुफ्त में सेनिटरी पैड उपलब्ध कराने के लिए 'खुशी' योजना की शुरुआत की है। इससे छठवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा तक की सभी छात्राओं को निश्शुल्क सेनिटरी पैड बांटने की व्यवस्था है।