पिता की जागरूकता से बची बेटी की जान
आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले के बणई अनुमंडल के ग्रामीण आज भ्
जागरण संवाददाता, राउरकेला: आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले के बणई अनुमंडल के ग्रामीण आज भी सांप के डंस लेने पर डॉक्टरी इलाज कराने के बजाय झाड़-फूंक कराने में विश्वास रखते हैं। ऐसे में अक्सर ही पीड़ित की मौत हो जाती है। झाड़ फूंक का फायदा न होने पर बाद में पीड़ित को अस्पताल ले जाने का भी कोई फायदा नहीं होता। अनुमंडल में विगत दो महीने में इससे सर्पदंश से पांच लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद अब यहां के लोगों में धीरे-धीरे जागरूकता आने लगी है। इसी कड़ी में एक पिता की जागरूकता से सर्पदंश से पीड़ित पुत्री की जान बच गई।
लहुणीपाड़ा ब्लाक के अंचल के निवासी लेलान मुंडा की 13 वर्षीय पुत्री मिली मुंडा स्थानीय कस्तूरबा गांधी उच्च प्राथमिक विद्यालय में आठवीं की छात्रा है। शुक्रवार की रात घर में सोने के दौरान सांप ने उसे डंस लिया था। पता चलने पर झाड़-फूंक की बात होने लगी, लेकिन पिता लेलान मुंडा बिना समय गंवाए बेटी को इलाज के लिए लहुणीपाड़ा अस्पताल ले गए। जहां डॉ. क्षेत्रमोहन छत्रिया की देखरेख में हुई चिकित्सा से जहर का असर काफी कम हो गया और बच्ची की जान जान बच गई।