कोलकाता जाते समय बामड़ावासियों से मिले थे बापू
आजादी की लड़ाई के दौरान देशभर में यात्रा कर रहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कोलकाता जाने के दौरान बामड़ा रेलवे स्टेशन में उतरे थे। उनके आगमन की सूचना पाकर बामड़ावासी सैकड़ों की संख्या में पहुंच गए और उनका आशीर्वाद लिया।
मुकेश कुमार सिन्हा, राउरकेला :
आजादी की लड़ाई के दौरान देशभर में यात्रा कर रहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कोलकाता जाने के क्रम में बामड़ा रेलवे स्टेशन पर उतरे थे। उनके आगमन की सूचना पाकर बामड़ावासी सैकड़ों की संख्या में पहुंच गए और उनका आशीर्वाद लिया। 86 वर्षीय कांशीराम खंडेलवाल बताते हैं कि यह 1942 की बात है जब बापू आये थे। बापू के साथ एक और महिला व पुरुष भी थे जिन्हें वे नहीं जानते थे। उस समय ट्रेन की बोगी बहुत छोटी होती थी और महज 12-15 लोगों के बैठने की जगह होती थी। बापू से जब गांव वाले मिले तो बापू ने एक गमछा बिछा दिया जिसमें ग्रामीणों ने आजादी की लड़ाई के लिए अपनी इच्छा से जितना संभव हुआ उतना आर्थिक सहयोग दिया था।
गोविदपुर व प्रेमामंजरी बाजार में हुई थी सभा
80 वर्षीय कैप्टन शशिभूषण सेठी बताते हैं कि बामड़ा रेलवे स्टेशन में उतरने के बाद बापू ने गोविदपुर व प्रेमामंजरी बाजार में दो सभा हुई थी। जहां उन्होंने बामड़ावासियों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने के साथ ही आजादी की लड़ाई व अहिसा के बारे में जानकारी दी थी कि कैसे आजादी हासिल की जाएगी। इन दोनों ही जगहों पर बापू की स्मृतियां समेट कर रखी गयी हैं। गोविदपुर में जहां बापू ने बैठक की थी उसे गांधी कुटीर के रूप में नाम दिया गया है। यहां आज भी लोग बैठ कर अलग-अलग विषयों पर चर्चा करते हैं। वहीं प्रेमामंजरी मार्केट में बापू की एक प्रतिमा लगी है जहां स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर बापू को श्रद्धांजलि दी जाती है।
उन्होंने बताया कि जिन लोगों के साथ बापू ने यहां बैठक की थी वे तो अब इस दुनियां में नहीं रहे लेकिन उनके पुत्र-पौत्र अभी बामड़ा में हैं और पिता से मिली जानकारी को साझा करते हुए गौरवान्वित होते हैं। इस बात का बामड़ा को गर्व रहा है कि बापू के चरण बामड़ा में पड़े थे और उनसे जुड़ी यादें उनके पास हैं।
पिता के कंधे पर बैठकर गए थे बापू को देखने:
कैप्टन शशिभूषण के जेहन में बापू की याद धुंधली है। लेकिन यह अच्छी तरह याद है कि पिताजी उन्हें अपने कंधे पर बैठाकर महात्मा गांधी को दिखाने ले गए थे। पिता हमेशा बताया करते थे कि बापू बामड़ा आये थे। गोविदपुर के जमींदार संजीव पाल बताते हैं कि उनके पिता स्व. हर्षवर्धन पाल ने बताया था कि गांधी जी आए थे। पिता ने गांधी को देखा था। उस वक्त उनका जन्म नहीं हुआ था लेकिन पिताजी से कई कहानियां उन्होंने बापू से जुड़ी हुई सुनी हैं।