सुंदरगढ़ जिले में आसमान छू रहे यूरिया के दाम
धान की रोपनी खत्म होने के बाद अब खेतों में खाद डालने का समय आ गया है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : धान की रोपनी खत्म होने के बाद अब खेतों में खाद डालने का समय आ गया है। इस कारण यूरिया की मांग बढ़ गई है। मार्कफेड सरकारी गोदाम में यूरिया स्टॉक नहीं होने तथा बाजार में इसकी कमी के कारण इसकी कालाबाजारी की जा रही है। सामान्य दिनों की तुलना में खाद तीन गुना से अधिक दाम में बिक रही है जिससे किसानों की नींद उड़ी हुई है।
बिसरा, नुआगांव, कुआरमुंडा, लाठीकटा ब्लाक के अधिकतर किसान सरकारी दाम पर मार्कफेड के गोदाम से खाद लेते हैं। धान एवं सब्जी की खेती में अब खाद डालने का समय आ गया है पर यूरिया की आपूर्ति नहीं हुई है। सरकारी गोदाम में खाद उपलब्ध नहीं होने के कारण किसान खुले बाजार से यूरिया लेने के लिए विवश हैं। गर्मी के दिनों में यूरिया खाद 45 किलो की बोरी 280 रुपये में थी। अब प्रति बोरी इसका दाम खुले बाजार में 600 से 650 रुपये हो गया है। खुदरा दुकानदार 20 रुपये किलो के हिसाब से इसे बेच रहे हैं। इस तरह दुकानदार 45 किलो की यूरिया बोरी के लिए नौ सौ रुपये वसूल रहे हैं। हालांकि महीने भर पहले सरकारी गोदाम में यूरिया का स्टॉक आया था। किसानों की माने तो उक्त खाद किसानों के लिए न रखकर कदुकानदारों को बेच दी गई। जो अब जरूरत के समय एक का तीन भाव लेकर मालामाल हो रहे हैं और किसान कंगाल। किसानों का कहना है कि समय पर खाद उपलब्ध नहीं होने से उनकी उपज प्रभावित होगी।