किसानों ने जाम किया सुंदरगढ़-छत्तसीगढ़ मार्ग
बालिशंकरा लैंपस में लगभग 200 किसानों को टोकन नहीं मिला हैं। परिणामस्वरूप किसान धान की बिक्री से वंचित हो गए है।
जासं, राउरकेला : बालिशंकरा लैंपस में लगभग 200 किसानों को टोकन नहीं मिला हैं। परिणामस्वरूप, किसान धान की बिक्री से वंचित हो गए है। पंजीकरण के बावजूद टोकन नहीं मिलने से नाराज किसानों ने बुधवार को बालिशंकरा में धान के बोरे व ट्रैक्टर लगाकर सुंदरगढ़-छत्तीसगढ़ मार्ग को जाम कर दिया। जिससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया। किसानों ने घोषणा की है कि जब तक टोकन जारी करने और धान की बिक्री की व्यवस्था नहीं होती है तब तक यातयात ठप रखा जाएगा। इसकी सूचना पाकर पुलिस-प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचकर किसानों का समझाने का प्रयास किया। लेकिन वे कुछ सुनने को तैयार नहीं हुए। समाचार लिखे जाने तक किसान सड़क पर डटे हुए थे। विस्थापितों की नौकरी के लिए फिर होगी बैठक : पुनर्वास एवं पारिपािर्श्वक विकास सलाहकार कमेटी (आरपीडीएसी) की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार राउरकेला इस्पात संयंत्र से विस्थापित परिवारों के 1098 सदस्यों को नौकरी देने के फैसले पर अमल करने के लिए प्रशासन के निर्देश का पालन नहीं करने पर विस्थापित संघ की ओर से धरना दिया गया तथा क्षोभ प्रकट किया है। संघ के प्रतिनिधियों ने बुधवार को एडीएम से मिलकर अपनी नाराजगी जताई। एडीएम अबोली सुनील नरवाने ने महीने भर के अंदर फिर से आरपीडीएसी बैठक कर इस पर अंतिम निर्णय लेने का भरोसा दिया।
आरएसपी विस्थापित संघ के अध्यक्ष खाड़ा कुजूर ने बताया कि 21 दिसंबर 2019 को हुई आरपीडीएसी बैठक में पहचान किए गए 1098 लोगों को राउरकेला इस्पात संयंत्र में नौकरी देने का प्रस्ताव पारित किया गया था। कोरोना काल में इस पर अमल नहीं हो पाया था। 22 दिसंबर 2020 को एडीएम कार्यालय से आरएसपी प्रबंधन को पत्र लिखा गया था एवं सेल बोर्ड में इस पर चर्चा कर अमल करने को कहा गया था। आरएसपी प्रबंधन की ओर से इसे टाल दिया गया। नियुक्ति में विलंब को लेकर बुधवार को प्रतिनिधियों ने एडीएम से मिलकर अब तक की प्रगति के संबंध में जानकारी चाही। एडीएम ने बताया कि आरएसपी की ओर से नौकरी पर असमर्थता जताई गई है इस कारण एक महीने के अंदर फिर से आरपीडीएसी की बैठक कर स्पस्ट निर्देश पर प्रस्ताव पारित करने की बात कही। प्रतिनिधियों में संघ के उपाध्यक्ष सुखराम कुम्हार, सचिव पुरन खलको, कानूनी सलाहकार बसंत किसान, तिल्ला लकड़ा, एलिसबा तिग्गा, शोभा आदि लोग शामिल थे। संघ की ओर से कहा गया है कि महीने भर के अंदर ठोस कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन तेज किया जाएगा।