Move to Jagran APP

दीवार में ही फंस कर रह गई कृषक बाजार परियोजना

कृषि और किसानों के विकास पर जोर देने का सरकार ढोल पीट रही है। एसी रूम में बैठकर अधिकारी कई योजनाएं बना रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 09:40 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 09:40 PM (IST)
दीवार में ही फंस कर रह गई कृषक बाजार परियोजना
दीवार में ही फंस कर रह गई कृषक बाजार परियोजना

जागरण संवाददाता, राउरकेला : कृषि और किसानों के विकास पर जोर देने का सरकार ढोल पीट रही है। एसी रूम में बैठकर अधिकारी कई योजनाएं बना रहे हैं। हालांकि, किसानों के आर्थिक विकास पर सरकार का कितना जोर है, यह तो सुंदरगढ़ जिले के विभिन्न ब्लाकों में आधे-अधूरे पड़े किसान बाजार को देखकर समझा जा सकता है। इसी तरह, किसानों के विकास के लिए गठित पानपोष रेगुलेटेड मार्केट कमेटी (आरएमसी) केवल नाम मात्र ही चल रही है। किस तरह से परियोजनाएं जल्द से जल्द पूरी होंगी इसके लिए अधिकारियों में कोई रुचि नहीं है। नतीजतन, राज्यपाल और मुख्यमंत्री द्वारा उदघाटित मेगा किसान बाजार परियोजना केवल योजना तक में ही सिमट कर रह गई है। कहीं सिर्फ दीवार खड़ी हुई है तो कहीं यह काम अधूरा पड़ा हुआ है। गोदाम घर रहने के बावजूद यह किसानों के काम नहीं आ रहा है। कोल्ड स्टोरेज के लिए आई लाखों रुपये की मशीनें जंग खा रही है। अधिकतर परियोजना की यही स्थिति है।

loksabha election banner

कृषि बहुल नुआगांव ब्लॉक को ही एक उदाहरण के तौर पर लिया जा सकता है। इस ब्लॉक के लगभग 80 फीसद लोग कृषि पर निर्भर हैं। हर साल हजारों क्विंटल सब्जियों का उत्पादन और निर्यात यहां से राज्य तथा राज्य के बहार किया जाता है। इसके बावजूद सैकड़ों क्विंटल सब्जियां इस लिए सड़ जाती हैं कि क्योंकि यहां पर गोदाम व कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं हैं। इस कारण किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए, 4 फरवरी 2020 को नुआगां प्रखंड में 4.59 एकड़ जमीन पर नेशनल एग्रीकल्चर मार्केटिग (इनाम ) यानी होल सेल फार्मर्स मार्केट का शिलान्यास राज्यपाल प्रो गणेशी लाल लाल के हाथों किया गया था। किसानों ने 5,000 टन के गोदाम और 1,000 टन के कोल्ड स्टोरेज सुविधा के निर्माण का सपना देखा था। इस पर करीब 4 करोड़ रुपये खर्च होने थे। लेकिन आधारशिला रखे 11 महीने हो चुके हैं। होलसेल फार्मर्स मार्केट का सपना केवल दीवारों तक में सीमित है। यह कब पूरा होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है। दूसरी मेगा किसान बाजार परियोजना पानपोष बालूघाट है। लगभग 13 एकड़ जमीन पर थोक बाजार की स्थिति और भी खराब है। राउरकेला स्मार्ट सिटी होने के बाद यह किसान बाजार और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इसकी आधारशिला मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 2014 में रखा था, लेकिन किसानों की यह योजना आधी बनी दीवार में ही फंस कर रह गया है। पहले चरण में आई 98 करोड़ की राशि भी पड़ी हुई है।

इसी तरह, कुरममुंडा ब्लॉक में 5 एकड़, वेदव्यास में 1.92 एकड़, बिसरा प्रखंड के भाहूलता में 2.26 एकड़, लाठीकटा ब्लॉक अंतर्गत स्वीडीह में 2.81 एकड़, राउरकेला सिविल टाउनशिप में संजय मार्केट के पास 0.82 एकड़ जमीन आरएमएमसी को आवंटित की गई। वेदव्यास के 1.92 एकड़ जगह पर 30 गोदाम हैं। लेकिन यह किसान के कुछ नहीं आ रहा है। इनमें से 16 गोदामों की आपूर्ति विभाग को भड़ा में दिया गया है। कुछ अन्य गोदामों में किसानों की उपज रखने की जगह लोहे की छड़ें, सीमेंट आदि रखी गई हैं। इन गोदामों को कुछ व्यापारियों को मिली भगत से कम दर पर उपलब्ध कराया गया है। लठीकटा स्वीडीह में 100 मीट्रिक क्षमता वाला गोदाम भी व्यवहार में नहीं आने के कारण अनुपयोगी हो गया है। सिविल टाउनशिप किसान बाजार के कोल्ड स्टोरेज के लिए आई कोल्ड स्टोरेज मशीनें भी सड़ रही है। हैरानी की बात है कि आरएमएमसी को प्रदान की गई सभी भूमि का 90 फीसद से अधिक भूमि कब्जाधारियों के कब्जे में है। इन सभी मूल्यवान भूमि को अपने नियंत्रण में लाने के लिए विभाग द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.