सरना धर्म मानने वालों की आस्था का केंद्र है दुर्गापुर सरना स्थल
सरना धर्म मानने वालों की आस्था का केंद्र है दुर्गापुर सरना स्थल।
सरना धर्म मानने वालों की आस्था का केंद्र है दुर्गापुर सरना स्थल
जागरण संवाददाता, राउरकेला : शहर व आसपास के सरना धर्मावलंबियों के लिए उदितनगर स्थित दुर्गापुर मौजा स्थित सरना पूजा स्थल किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। यहां प्रत्येक गुरुवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं। लोगों की इस स्थल पर इतनी आस्था है कि पाप का प्रायश्चित एवं मन्नत मांगने के लिए 10 से 20 किलोमीटर दूर से सिर पर पानी भरा लोटा लेकर नंगे पैर पूजा-अर्चना को आते हैं। करीब छह एकड़ में फैला सरना पूजा स्थल लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
राउरकेला में एकमात्र सरना स्थल: राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) की स्थापना के समय 32 मौजा की जमीन के साथ सरना स्थलों का भी अधिग्रहण किया गया था। उस समय सरना धर्मावलंबियों की पूजा-अर्चना के लिए बसंती कॉलोनी और गाड़ा टोला में दो सरना स्थल बचे थे, जो बसंती कॉलोनी व सिविल टाउनशिप के लिए जमीन आवंटन के बाद छीन लिए गए। इसके बाद 1982-83 में सरना धर्मावलंबियों ने बसंती कॉलोनी सरना स्थल से शिला दुर्गापुर मौजा उदितनगर लाकर स्थापन किया। पहान चंदा ओराम के प्रयास से यहां तब से सरना पूजा की जा रही है।
सरना प्रार्थना सभा ने किया विकास : शहर में सरना स्थल की कमी एवं लोगों की आस्था को देखते हुए क्षेत्र के विकास के लिए सरना प्रार्थना सभा के केंद्रीय कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष डीडी तिर्की एवं तत्कालीन धर्मगुरु विक्रम भगत से संपर्क किया गया। इनके प्रयास से 1983 में पहली बार चैत्र पूर्णिमा के दिन पूजा की गई। इस पूजा में ऐतिहासिक 30 हजार से अधिक भीड़ जुटी। जिसमें सुंदरगढ़ समेत झारखंड एवं छत्तीसगढ़ (तत्कालीन बिहार व मध्यप्रदेश) से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए एवं जलाभिषेक किया था। यह सरना विश्वासियों के लिए ऐतिहासिक था। वर्तमान में धर्मगुरु बंधन तिग्गा की देखरेख में इसका संचालन किया जा रहा है।
चैत्र पूर्णिमा के दिन होती है सरहुल पूजा : दुर्गापुर मौजा उदितनगर सरना स्थल पर चार दशक से चैत्र पूर्णिमा के दिन सरहुल पूजा होती आ रही है। 1983 में पहली सरहुल पूजा हुई थी, जिसमें भीड़ को देखते हुए 1992 से कुछ साल के लिए इस समारोह का स्थल बिसरा मैदान कर दिया गया था। लोगों की आस्था को देखते हुए राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा ने फिर से आयोजन स्थल में बदलाव किया और फिर से उदितनगर दुर्गापुर मौजा में इसका आयोजन होने लगा। इस वर्ष 16 अप्रैल को पूजा होगी।
हर गुरुवार को जुटती है भीड़ : राउरकेला इस्पात संयंत्र से विस्थापित परिवारों की आस्था अब भी सरना स्थल पर बनी है। बिसरा, नुआगांव, जगदा, झीरपानी, लाठीकटा, कुआरमुंडा, बीरमित्रपुर, राजगांगपुर, कुतरा आदि क्षेत्रों से सरना धर्मावलंबी घरेलू काम बंद कर सरना स्थल पर पूजा के लिए आते हैं। लोग घरों से ही कांसे के लोटे में पवित्र जल लेकर सरना स्थल पहुंचते हैं और धरती माता एवं पिता सूर्य का स्मरण कर जलाभिषेक करते हैं। पाप का प्रायश्चित करने एवं दुखों से मुक्ति के लिए मन्नत मांगने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग पैदल आते हैं।
सरना स्थल की देखभाल को कमेटी गठित : सरना स्थल की निगरानी एवं पूजा संपन्न कराने के लिए विशेष कमेटी का गठन किया गया है। मुख्य पहान डीडी तिर्की, पहान मंगनाथ खलको की देखरेख में यहां पूजा करायी जा रही है जबकि सरना प्रार्थना सभा राउरकेला के अध्यक्ष झरियो केरकेटा, सचिव हेमंती मिंज , जिला अध्यक्ष बीलू तिर्की एवं सचिव अनंत ओराम की अगुवाई में कमेटी इसके विकास का काम कर रही है। सरना स्थल पर पौधारोपण के साथ पीने के पानी का प्रबंध किया गया है। सरना स्थल की सुरक्षा के लिए चहारदीवारी का निर्माण भी किया जा रहा है।
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