हर्ष व रोमांच से भरपूर हैं दीपावली के सुनहरे पल
रोशनी का त्योहार दीपावली एक ऐसा त्योहार है जिसे सभी उम्र के लोग चाव से मनाते हैं। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ दीपावली मनाने का तरीका जरूर बदल जाता है। लेकिन दीपावली को लेकर सुनहरे पल चाहे वो बचपन के हों या जवानी या फिर अपने गृहस्थ जीवन के। यह पल जेहन में अमिट छाप की तरह अंकित हो जाते हैं। दैनिक जागरण ने भी शहर के कई लोगों से सुनहरी यादों के बारे में पूछा तो उन्होंने खुलकर अपनी यादों को जागरण के साथ साझा किया। यह यादें साझा करते समय कोई रोमांचित हुआ तो कोई हर्षित दीखा।
जागरण संवाददाता, राउरकेला: रोशनी का त्योहार दीपावली एक ऐसा त्योहार है जिसे सभी उम्र के लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ दीपावली मनाने का तरीका जरूर बदल जाता है। दीपावली को लेकर सुनहरे पल चाहे वह बचपन के हों या जवानी या फिर गृहस्थ जीवन उसके अपने आनंद हैं। यह पल जेहन में अमिट छाप की तरह अंकित हो जाते हैं। दैनिक जागरण ने शहर के कई लोगों की सुनहरी यादों के बारे में जानकारी ली तो उन्होंने खुलकर अपनी यादों को साझा किया। इस दौरान सभी के चेहरों पर हर्ष और रोमांच का भाव साफ झलक रहा था।
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मेरे जीवन में दीपावली की सुनहरी यादें मेरे कॉलेज जीवन से जुड़ी थीं। कॉलेज में पढ़ने के दौरान दीपावली आने से पहले ही हम अनार बनाने की तैयारी में जुट जाते थे। हम यह पता करते थे कि अनार बनाने के लिए कच्चा माल कहां से मिलेगा, इसका पता चलने के बाद हम सभी दोस्त मिलकर वहां के लिए रवाना होते थे। जिसके बाद हम अनार बनाने का काम करते थे। दीपावली पर अनार जलाने के बाद जैसी खुशी होती थी, उसका अहसास मुझे अभी भी है।
- शुभ पटनायक, पूर्व अध्यक्ष, राउरकेला चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज।
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दीपावली की खुशी में गरीब बच्चों को शामिल करना अब तक का सबसे सुनहरा पल रहा है। मुझे याद है कि कुछ वर्ष पहले जब हम परिवार के साथ दीपावली पर पटाखा फोड़ते थे। तभी पास की बस्तियों के कुछ बच्चे पटाखा फोड़ने के बाद न फटने वाले पटाखे संग्रह कर इसे फोड़ने का प्रयास करते थे। जिसके बाद मैंने उन बच्चों को अपने पास बुलाकर हम सब के साथ दीपावली पर पटाखा फोड़ने व मिठाई खाने को दी। दीपावली पर यह मेरी सुनहरी यादों में एक है।
- जसविदर सिंह गोल्डी, व्यवसायी।
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दीपावली को लेकर मेरी सुनहरी यादें मेरे बचपन से जुड़ी हैं। उस दौरान हम पटाखा फोड़ने के लिए जिद किया करते थे। कहीं हमें चोट न लग जाए, यह सोचकर परिजन हमें ऐसे पटाखे नहीं देते थे। यदि देते भी थे तो वे हमारा हाथ पकड़कर पटाखा फोड़ने दिया करते थे। इसके अलावा हाथ में फूलझड़ियां जलाकर उसे गोल-गोल घुमाना सभी बच्चों का पसंदीदा शगल रहा है, जो हमारा भी था। लेकिन अब घर-गृहस्थी व कारोबार में व्यस्त रहने के बाद जब भी बचपन की दीपावली याद आती है तो मन प्रसन्न हो जाता है।
- कमल अग्रवाल, समाजसेवी ।
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मैं मारवाड़ी युवा मंच से शुरू से ही जुड़ा हूं। जिससे मंच की सेवाभावना के तहत दीपावली के दिन में वैसे बच्चे जो पटाखा फोड़ने व मिठाई खाने के लिए रुपये खर्च नहीं कर पाते। वैसे बच्चों के बीच जाकर पटाखा व मिठाई बांटने का अलग ही आनंद मिलता है। इस दौरान इन बच्चों की आंखों में जो खुशी झलकती है, उसे देखकर काफी आनंद होता है। दीपावली के दिन वंचित बच्चों की सेवा करना ही मेरी सुनहरी यादों के समान है।
- प्रतीक क्याल, अध्यक्ष, मारवाड़ी युवा मंच, राउरकेला।
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दीपावली का त्योहार में शोर-शराबा व प्रदूषण न हो तो यही श्रेष्ठ दीपावली होगी। जिससे मेरा भी यह मानना है कि दीपावली का त्योहार ऐसा होना चाहिए कि परंपरा का निर्वाह भी हो जाये एवं प्रदूषण को नुकसान भी न हो। इसके लिए हमें इको-फ्रैंडली पटाखों का प्रयोग करना चाहिए। वैसे मैं भी इको-फ्रेंड्ली दीपावली मनाने में विश्वास रखता हूं। दीपावली को लेकर मेरी सुनहरी यादें भी मेरी इसी अहसास से जुड़ी हैं।
- रमेश अग्रवाल बरसुआंवाले, अध्यक्ष, हरियाणा नागरिक संघ।
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मैं दीपावली सादा तरीके से मनाने में विश्वास करता हूं। जिससे विगत एक दशक से मैं न केवल लोगों को प्रदूषण रहित दीपावली मनाने के लिये प्रेरित करता हूं। बल्कि मैं स्वयं भी अपने परिवार के सदस्यों के साथ दीपावली का त्योहार मनाता हूं, जिसमें प्रदूषण की मात्रा कम से कम हो। मैं प्रदूषण रहित दीपावली मनाने के लिए विगत एक दशक से प्रयासरत हूं। जिसका धीरे-धीरे ही सही, सुखद परिणाम भी आने लगा है। दीपावली से जुड़ी मेरी सुनहरी यादें तो यही है।
- शैलेंद्र मारोठिया, व्यवसायी।