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गांव नाहीं छाड़ब, माटी नहीं छाड़ब, लड़ाई नहीं छाड़ब..

गुजरात के दांडी से दो अक्टूबर को जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय की ओर से निकाली गई संविधान सम्मान यात्रा मंगलवार को राउरकेला पहुंची।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 10:04 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 10:04 PM (IST)
गांव नाहीं छाड़ब, माटी नहीं छाड़ब, लड़ाई नहीं छाड़ब..
गांव नाहीं छाड़ब, माटी नहीं छाड़ब, लड़ाई नहीं छाड़ब..

जागरण संवाददाता, राउरकेला: गुजरात के दांडी से दो अक्टूबर को जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) की ओर से निकाली गयी संविधान सम्मान यात्रा मंगलवार को राउरकेला पहुंची। यहां सेक्टर-8 स्थित गांगपुर मजदूर मंच कार्यालय में सुंदरगढ़ जिला आदिवासी मूलवासी बचाओ मंच तथा आदिवासी मूल निवासी अधिकार सुरक्षा मंच की ओर से इस यात्रा का जोरदार स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम में शामिल युवाओं ने गांव नाहीं छाड़ब, माटी नहीं छाड़ब, लड़ाई नहीं छाड़ब.., गीत के माध्यम से इस यात्रा के उद्देश्य की लोगों को जानकारी दी।

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इस मौके पर एनएपीएम के सलाहकार प्रफुल्ल सामंतरा ने बताया कि संविधान सम्मान यात्रा देश में लोकतंत्र, धर्म निरपेक्षता, विविधता, समता व न्याय की सुरक्षा तथा घृणा, ¨हसा, विषमता व प्राकृतिक संपदा की लूट का विरोध करने के लिए निकाली गई है। इस यात्रा के माध्यम से पूरे देश की जनता को जागरूक करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान देश में गणतंत्र की सुरक्षा करने वाली सभी संस्थानों को लगातार कमजोर करने का काम किया जा रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल कानून पास होने के बाद भी केंद्र सरकार अब तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं कर पायी है।

वहीं सीबीआइ, सूचना का अधिकार आयोग, चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट आदि प्रमुख संस्थाओं को कमजोर करने का काम किया जा रहा है। देश में एक तरह से अघोषित क‌र्फ्यू लागू कर दिया गया है। केंद्र व राज्य सरकारों की जनविरोधी व बड़ी-बड़ी कंपनियों को सुहाने वाली नीतियों के कारण किसान, श्रमिक, दलित, आदिवासी, छात्र व युवा शोषण का शिकार हो रहे हैं। नक्सलियों के नाम पर गरीब व निरीह ग्रामीणों को जेल में ठूंसा जा रहा है। जो इसका विरोध करते हैं, उन्हें शहरी नक्सली बताया जा रहा है।

बीरमित्रपुर के विधायक व आदिवासी नेता जार्ज तिर्की ने कहा कि सुंदरगढ़ जिला अधिसूचित जिला है। यहां के मालिक केंद्र व राज्य सरकार नहीं हैं, बल्कि राज्यपाल हैं, जो देश के राष्ट्रपति के प्रति जवाबदेह हैं। लेकिन यहां पर विकास कार्य के लिए ग्रामसभा जरूरी होने के बाद ऐसा नहीं किया जा रहा है। उन्होंने ग्रामीणो के विरोध के कारण ओसीएल की जनसुनवाई बंद होने को लेकर भी अपनी बात रखी। इस दौरान मेक इन ओडिशा कॉन्क्लेव का विरोध भी किया गया। इस दौरान ओडिशा प्रदेश संयोजक मंडली के कल्याण आनंद, सत्यनारायण वनछोर, मनोरमा खटुआ समेत अन्य प्रतिनिधि शामिल रहे।


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