संवाद सूत्र, सुंदरगढ़ : पति पत्नी में झगड़ा, फिर पति द्वारा पत्नी की हत्या और उसके बाद गिरफ्तारी, ऐसी स्थिति में जब परिवार का एक मुखिया जान गंवा चूकी है और दूसरा कारावास में। तब उनके निर्दोष बच्चों के भविष्य का क्या होगा। ऐसी विकट परिस्थिति कई बार आती है, पर इसका समाधान किसी को पता नहीं होता। लेकिन जिला विधि सेवा प्राधिकरण सुंदरगढ़ ने ऐसे हालात में कानूनी व्यवस्था के तहत पीड़ित परिवार के सदस्यों को मदद पहुंचाने की मिसाल कायम की है।
सदर थाना, समिना गांव के बकुपाडा निवासी कुश माझी ने बीती पांच जनवरी की रात अपनी पत्नी सुबासिनी की गला दबाकर हत्या कर दी थी। कारण था दोनों के बीच रोज राज का कलह। जिसमें पुलिस ने आरोपित कुश को गिरफ्तार कर कोर्ट चालान किया। जमानत न मिलने पर उसे जिला कारागार भेज दिया गया। जहां वह अब तक है। ऐसी स्थिति में कुश की विधवा मां, 12 वर्षीय बेटा, नौ व पांच वर्ष की दो बेटियां बेसहारा हो गए हैं। गांव वालों ने कुछ दिन उनकी मदद की, पर आखिर कब तक करते। यह सवाल सबको काट खा रहा था। बच्चों की पढाई तो दूर, उन्हें खाने तक के लाले पड़ गए थे। ऐसे में इसकी खबर विधि सेवा प्राधिकरण सचिव विमल राऊल को मिली, तो वह जिला बाल सुरक्षा अधिकारी श्रीवंत जेना के साथ इस परिवार से मिले। उन्होंने 12 वर्षीय बेटे को चाइल्ड केयर सेंटर में रखकर उसके खानेपीने एवं पहने की व्यवस्था की। दोनों बेटियों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाई की व्यवस्था की तथा आरोपित की मां के माध्यम से उनके खाने पीने के लिए एक निर्धारित राशि का प्रबंध प्राधिकरण द्वारा किए जाने की पहल की गई ही। इसके लिए आवश्यक कागती कार्य आरम्भ किया गया है।
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