Odisha: खनन क्षेत्र में विकास की नग्न तस्वीरें, खटिया पर ढो वृद्धा को पहुंचाया अस्पताल
एक बार फिर ओडिशा के आदिवासी बहुल इलाके के विकास की नग्न तस्वीरें सामने आयी है। बीमार वृद्धा को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए खटिया में लाद कर नदी पार करवायी फिर बाइक पर बिठाकर कर डिस्पेंसरी तक पहुंचाया गया।
राउरकेला, जागरण संवाददाता। आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले के कोइड़ा ब्लॉक की विकास की नग्न तस्वीर फिर से सामने आई है। एक बार फिर खटिया में ढ़ोकर अस्पताल ले जाए जा रहे एक रोगी की खबर सामने आई है। यह मामला कोइड़ा ब्लॉक के अरघाट गांव की है। यहां रहने वाली वृद्धा चांद मुंडा की तबीयत रात को खराब हो गई थी। परिवार वाले उसे रात को ही अस्पताल ले जाने की कोशिश की थी। लेकिन उसमें वे सफल नहीं हुए। पास में स्थित माइंस में जाकर एंबुलेंस की व्यवस्था करने की कोशिश भी की थी। लेकिन उसमें भी वे नाकाम रहे। जिसके बाद सुबह उसे खटिया में लाद कर नदी पार करते हुए एक किलोमीटर दूर ले जाया गया। उसके बाद बाइक पर बिठाकर उसे सानइंदपुर माइंस डिस्पेंसरी लेकर इलाज कराया गया। उक्त चित्र ने फिर से आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले के खनन क्षेत्र की वास्तविक विकास को दर्शाया है।
सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों की नजर से दूर अरघाट गांव
सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों की नजर से दूर एक ऐसा क्षेत्र कोइड़ा ब्लॉक में अरघाट गांव है। गांव से थोड़ी दूरी पर गोपीसाही बस्ती है। बस्ती में 35 से अधिक परिवार रहते हैं। सोना नदी बस्ती के रास्ते में पड़ती है। जिसके कारण लोगों को नदी पार करके अपना घर जाना पड़ता है। चाहे बारिश का दिन हो या गर्मी मौसम नदी का बहाव तेज रहता है। लोग अपनी जान जोखिम में डालकर हर समय नदी पार करते हैं। यहां तक की स्कूल जाने वाले बच्चे भी इसी तरह नदी पार करते हैं। ऐसे में गांव में एम्बुलेंस कैसे जाएगी! इलाज के अभाव में गांव के कई लोगों की पहले ही मौत हो चुकी है।
अरबों रुपए के खनिजों से समृद्ध है सुंदरगढ़
सुंदरगढ़ जिला अरबों रुपए के खनिजों से समृद्ध है। सरकार भूमिगत खदानों से निकलने वाले खनिजों को बेच कर अरबों रुपए का राजस्व कमा रही है। उस पैसे को कई शहरों के विकास की दक्षता बढ़ाने पर खर्च किया जा रहा है, यहां तक कि जिले के बाहर पार्कों और हवाई अड्डों के निर्माण पर भी उक्त राशि खर्च हो रही है। लेकिन खदानों के कारण क्षतिग्रस्त हुए असली पीड़ित अब भी इसके लाभ से वंचित हैं। विकास अभी भी उनके लिए एक सपना है। खनन क्षेत्र के कई गांवों में जहां आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है, वहां कई ऐसे गांव है, जहां तक मिट्टी की सड़क तक नहीं है। कहीं तो लोग पीने के पानी के लिए लड़ रहे हैं।