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इतना बड़ा विस्फोट, हादसा या साजिश!

विस्फोट के बाद पुलिस के साथ फोरेंसिक जांच टीम भी मौके पर प

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 05:37 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 05:37 PM (IST)
इतना बड़ा विस्फोट, हादसा या साजिश!
इतना बड़ा विस्फोट, हादसा या साजिश!

जागरण संवाददाता, राउरकेला: विस्फोट के बाद पुलिस के साथ फोरेंसिक जांच टीम भी मौके पर पहुंची। ध्वस्त घरों की जांच कर मौके से नमूने संग्रह किए गए। इसमें बारूद, अल्युमीनियम चिप्स, गंधक के पाउडर, फासफोरस काफी मात्रा में मिले हैं। इतने बड़े जखीरे के मिलने से पुलिस के कान खड़े हो गए हैं। दो ¨बदुओं पर पुलिस की जांच चल रही है कि यह हादसा था या कोई साजिश? घटनास्थल पहुंचे एसपी डा उमाशंकर दास ने कहा कि जिस तरह से विस्फोट ने करीब 150 मीटर के दायरे में इलाके को चपेट ले लिया। ऐसे में जांच के अलग-अलग ¨बदु हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि किस मकसद से यहां विस्फोटकों का इतना बड़ा जखीरा रखा गया था। घनी आबादी के बावजूद मधुसूनपल्ली में इस तरह से विस्फोटक जमा कर रखे जाने की भी जांच चल रही है। कैसे इसकी जानकारी पुलिस व प्रशासन को नहीं थी यह भी जांच का हिस्सा है।

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तो बच जाती दो ¨जदगी : दोपहर 11:45 बजे के करीब जवाहरलाल के घर की छत से धुआं निकलता देख पड़ोस के आर कांता राव ने घर जाकर बताया कि घर की छत से धुआं निकल रहा है। लेकिन उसकी बात को दरकिनार कर घर में मौजूद गायत्री देवी ने कहा कि घर से कोई धुआं नहीं निकल रहा। जिसके बाद उनकी बहु डॉली व रेखा घर की पहली मंजिल पर चले गई। दोनों ने देखा कि सही में धुआं निकल रहा था। जिसे बुझाने के लिए पानी लाने दोनों उतर रहे थे। इसी दौरान विस्फोट हुआ और मकान की पहली मंजिल छत सहित उड़ गई। इसके असर से आसपास के सभी घरों के छत भी उड़ गए। अगर कांता राव की बात मानकर सभी लोग घर से बाहर आ जाते तो शायद जान बच सकती थी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

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दमकल के लिए चुनौती बनी रही संकरी गलियां : विस्फोट के बाद लगी आग को बुझाने के लिए पहुंचे फायर ब्रिगेड के वाहनों को घटनास्थल तक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। बड़ी गाड़ियां अंदर घुस नहीं पाई। इससे मधुसूदनपल्ली के मुहाने पर ही गाड़ी खड़ी कर करीब 4 सौ मीटर लंबे पाइप से घटना स्थल तक पानी पहुंचाया गया। वहीं दमकल की दो गाड़ियां पीछे से घुम कर मौके पर पहुंची। इसके बाद आग पर काबू पाया गया। बाद में मलबे के नीचे दबी रेखा को निकालने के लिए फायर ब्रिगेड को करीब तीन घंटे मशक्कत करनी पड़ी।


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