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16 घंटे बाद जाम से मुक्त हुआ बीजू एक्सप्रेस वे

प्रशासन का लिखित पत्र मिलने के बाद प्रदर्शनकारी सड़क से हट गए। जिसके बाद बीजू एक्सप्रेस वे जाम से मुक्त हो गया।

By Edited By: Published: Thu, 04 Oct 2018 11:32 PM (IST)Updated: Fri, 05 Oct 2018 07:54 AM (IST)
16 घंटे बाद जाम से मुक्त हुआ बीजू एक्सप्रेस वे
16 घंटे बाद जाम से मुक्त हुआ बीजू एक्सप्रेस वे

राउरकेला, जेएनएन। ओसीएल के खदान संप्रसारण को लेकर बुधवार को आहूत जनसुनवाई के खिलाफ विधायक जार्ज तिर्की की अगुआई में उतरे हजारों आदिवासियों से कई घंटे तक चली बातचीत आखिरकार तड़के 4 बजे रंग लाई। प्रशासन का लिखित पत्र मिलने के बाद प्रदर्शनकारी सड़क से हट गए। जिसके बाद धीरे-धीरे बीजू एक्सप्रेस वे जाम से मुक्त होने लगा।

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हालांकि 20 किमी से अधिक दूरी तक लगे जाम से मुक्ति मिलने में करीब सात घंटे लग गए। तब जाकर स्थिति सामान्य हुई। सड़क अवरोध के कारण बीजू एक्सप्रेस वे पर करमडीह तक तथा दूसरी ओर लाठीकटा तक 30 किमी तक जाम लग गया था। जाम से परेशान रहे पूरे जिले के लोग इससे पहले पेसा समर्थकों के उग्र विरोध के कारण बुधवार को जनसुनवाई रोकनी पड़ी थी। ओसीएल समर्थक व विरोधियों के बीच झड़प के कारण कई घंटे तक हालात तनावपूर्ण रहे थे। बाद में पेसा समर्थकों ने राज्यमार्ग को दोनों तरफ से जाम कर दिया। यहां तक कि ग्रामीण सड़कों को भी जाम कर दिया गया था।

राजगांगपुर शहर के अंदर आने वाली सभी सड़कों को जाम कर दिया गया था। जिससे वाहनों की लंबी कतार लग गई थे। जिले के आला अधिकारियों को भी मौके पर घुसने नहीं दिया गया था। पेसा समर्थकों के विरोध के कारण करीब 16 घंटे तक जाम की स्थिति बनी रही। जिससे पूरा सुंदरगढ़ जिला प्रभावित हुआ।

एडीएम का पत्र मिलने पर माने पेसा समर्थक

पेसा समर्थकों के सड़क अवरोध करने के कारण सुंदरगढ़ जिले में परिवहन ठप हो गया था। जिसके बाद डीएम सुरेंद्र कुमार मीणा, पश्चिमांचल की डीआइजी कविता जालान, उत्तरांचल के डीआइजी सत्यव्रत भोई, सुंदरगढ़ एसपी सौम्या मिश्रा, एडीएम भास्कर चंद्र तुरुक, उपजिलापाल वीरसेन प्रधान पेसा समर्थकों से मिलने डीआइटीइ केपास पहुंचे। जहां हजारों की संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। करीब 12 घंटे की मैराथन बैठक के बाद एडीएम ने लिखित में जनसुनवाइ का ब्यौरा विधायक जार्ज तिर्की को सौंपा। जिसमें सबसे अहम ¨बदु पांचवें नंबर पर बताया गया कि जनसुनवाइ का प्रभावित पांच गांवों के ग्रामीणों ने विरोध किया। जिस कारण जनसुनवाइ को रोक दिया गया। यह पत्र मिलने के बाद पेसा समर्थक वहां से हट गए।


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