मॉडल रेलवे स्टेशन पर भिखारी बने दाग
राउरकेला स्टेशन को मॉडल स्टेशन की मान्यता मिलने के बाद स्टेशन में यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के तहत रेल विभाग की ओर से कई विकास कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा स्टेशन की सुरक्षा के मद्देनजर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की ओर से कई सुरक्षा के भी इंतजाम किये गये है। इसके तहत स्टेशन में भिखारियों और पागलों के प्रवेश पर रोक लगाया गया है।
राजेश साहु, राउरकेला :
राउरकेला रेलवे स्टेशन को मॉडल स्टेशन की मान्यता प्राप्त है। इसे ध्यान में रखते हुए रेल प्रबंधन यात्रियों की हर सुविधा और सुरक्षा का ख्याल रखती है। स्टेशन की सुंदरता निखारने के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं। इन सबके बीच स्टेशन पर भिखारियों की उपस्थिति सारी कोशिशों पर बदनुमा दाग से कम नहीं। हालांकि रेल प्रबंधन ने भिखारियों एवं मानसिक दिव्यांगों के स्टेशन में प्रवेश पर रोक लगाया गया है। लेकिन आए दिन ऐसे लोगों को स्टेशन परिसर, आरक्षित टिकट काउंटर, जनरल टिकट काउंटर, प्लेटफार्म पर देखा जा सकता है।
कभी कभार तो इनके कारण यात्रियों को काफी परेशानी का भी सामना करना पड़ जाता है। भिखारी के वेश में चोर पलक झपकते ही यात्रियों का कीमती सामान चुरा लेते हैं। वहीं यात्रा के दौरान नाश्ता पानी या खाना खाते समय भिखारियों के अचानक सामने आ जाने से भी लोगों को काफी असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। कभी कभार तो ये भिखारी खाना या नाश्ता के बजाय पैसों की मांग को लेकर जिद ठान लेते हैं। भगाने पर भी नहीं जाते। नहीं देने पर बद्दुआ देते आगे बढ़ जाते है।
कई बार तो ऐसा भी देखा गया है कि हड़बड़ी में ट्रेन पकड़ने जा रहे या ट्रेन से उतर कर बाहर आ रहे यात्री का ये भिखारी एक छोर से अंतिम छोर तक पीछा करते रहते हैं। फटकार लगाने पर भी पीछा नहीं छोड़ते। कई बार तो स्टेशन के बाहर और प्लेटफार्म में भिखारी के वेश में चोर भी यात्रियों को अपना शिकार बनाने से नहीं चूकते। इसी को ध्यान में रखते हुए अक्सर ही स्टेशन परिसर व प्लेटफार्म से भिखारियों हटाने की मांग होती आयी है। स्टेशन पर बच्चे, जवान तथा वृद्ध भिखारी के वेश में भीख मांग कर अपना गुजर बसर करते हैं। वहीं संकट मोचन मंदिर समेत विभिन्न संस्थाओं की ओर से आए दिन मुफ्त का खाना मुहैया कराया जाता है। स्टेशन में चौबीस घंटे पीने के पानी की सुविधा है ही। इसी से ये लोग वहीं ठिकाना बनाकर रहते हैं।
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ट्रेन का इंतजार करते समय देर होने का टेंशन रहता है। ऐसे में ये भिखारी अचानक सामने आकर हाथ फैला देते हैं। ठीक नहीं लगता। इनको स्टेशन में आने से रोकना चाहिए।
- पितांबर बेसरा, यात्री।
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स्टेशन में भिखारियों का प्रवेश बंद होना चाहिए। भिखारी के वेश में चोर भी घूमने लगे हैं। सामने आकर हाथ फैला देख गुस्सा आता है। क्या करें, कुछ बोल भी नहीं पाते।
-लक्ष्मण कुमार, यात्री।
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स्टेशन परिसर व प्लेटफार्म से भिखारी व पागल को भगाने के लिए आरपीएफ प्रतिदिन अभियान चलाता है। सामाजिक संस्थाओं मुफ्त खाना और स्टेशन पर बिजली, पानी मिलने से ये कहीं नहीं जाते। खदेड़ने पर वापस लौट आते हैं।
- गणेश पाडेय, आरपीएफ ओसी, राउरकेला।