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चार जिलापाल देखने के बावजूद फाइलों में सिमटा ईब नदी पर बैराज व पुल का निर्माण

सुंदरगढ़ शहर व आसपास के क्षेत्र में जलापूर्ति एवं भोजपुर से बंधपाली को जोड़ने के लिए ईब नदी पर पुल तथा बैराज निर्माण की योजना फाइलों में सिमट कर रह गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 11:07 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 11:07 PM (IST)
चार जिलापाल देखने के बावजूद फाइलों में सिमटा ईब नदी पर बैराज व पुल का निर्माण
चार जिलापाल देखने के बावजूद फाइलों में सिमटा ईब नदी पर बैराज व पुल का निर्माण

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ शहर व आसपास के क्षेत्र में जलापूर्ति एवं भोजपुर से बंधपाली को जोड़ने के लिए ईब नदी पर पुल तथा बैराज निर्माण की योजना फाइलों में सिमट कर रह गई है। कोपसिगा में वर्ष 2013 में कम ऊंचाई वाले पुल तथा बैराज निर्माण के लिए 350 करोड़ का आकलन किया गया था पर इसके लिए राशि की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण काम शुरू नहीं हो पाया।

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बैराज व पुल निर्माण के लिए इसके बाद कई सर्वे भी हुए। कोपसिगा की योजना रद कर दरबार टांगर में कम ऊंचाई वाले पुल व बांध के निर्माण का प्रस्ताव सुंदरगढ़ नगरपालिका की ओर से दिया गया। तत्कालीन जिलापाल भूपिदर सिंह पुनिया से इसके लिए कोष प्रदान करने का अनुरोध किया गया। इसके लिए पहले तीन करोड़ का अनुमोदन किया। उनके तबादले के बाद यह योजना ठंढे बस्ते में चली गई। उनके बाद आए नए जिलापाल विनीत भारद्वाज ने 17 करोड़, फिर 33 करोड़ रुपये की लागत पर चेकडैम बनाने की स्वीकृति दी। इस योजना पर भी काम नहीं हुआ। जिलापाल के रूप में सुरेंद्र सिंह मीणा के पदभार संभालने के बाद सिचाई विभाग की ओर से 66 करोड़ की लागत पर पिकअप वेयर बैराज निर्माण का प्रस्ताव दिया गया। सर्वेक्षण के लिए 66 लाख रुपये की स्वीकृति मिली और केवल सर्वे में ही राशि खत्म हो गई और निर्माण कार्य फाइलों तक ही सीमित रहा। ईब नदी पर प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना में पुल तथा बैराज निर्माण का प्रस्ताव भी दिया गया पर यह सियासी दांवपेच में फंस कर रह गया। नवंबर 2019 में जिलापाल निखिल पवन कल्याण ने जिला खनिज कोष से 68.1 करोड़ रुपये की मंजूरी दी तथा सिचाई विभाग को इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरु करने का निर्देश दिया। इसका टेंडर नहीं हुआ और सिचाई विभाग की ओर से 217 करोड़ की एक और योजना प्रस्तुत कर दी गई। राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी एवं विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण यहां बैराज व पुल निर्माण का सपना पूरा नहीं हो पाया है एवं योजना फाइलों में ही सिमट कर रही गई है।


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