उफ मिर्च इतनी तीखी है तो जरूर बामड़ा ही होगी
उत्पादन बढिय़ा होने के कारण यहां कोल्ड स्टोरेज भी है, जहां किसान अपने उत्पाद सुरक्षित रखकर वर्ष भर व्यवसाय कर पाते हैं।
राउरकेला, मुकेश सिन्हा। मिर्च भले ही मुंह को नहीं भाए, लेकिन बामड़ा को मिर्च के तीखेपन ने ही ओडिशा सहित पूरे देश में अलग पहचान दिलाई है। इस छोटे से गांव में वर्ष भर उत्पादित तीखी मिर्च उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश व दिल्ली तक भेजी जाती है। बिना किसी उद्योग के बामड़ा ने केवल मिर्च की खेती के बूते खुद को समृद्ध किया है।
वर्ष भर यहां देश के विभिन्न हिस्सों से व्यापारियों का आना-जाना लगा रहता है। उत्पादन बढिय़ा होने के कारण यहां कोल्ड स्टोरेज भी है, जहां किसान अपने उत्पाद सुरक्षित रखकर वर्ष भर व्यवसाय कर पाते हैं।
वैसे तो पूरे कुचिंडा अनुमंडल में ही मिर्च की खेती होती है, लेकिन मिर्च का नामकरण बामड़ा के नाम से हुआ। सब्जी की मंडियों में किसी भी ग्राहक को जब यह मिर्च नजर आती है तो मुंह से बरबस निकलता है कि अच्छा, बामड़ा की मिर्च है क्या? बामड़ा पूर्वी भारत की सबसे बड़ी मिर्च की मंडी है।
ओडिशा के संबलपुर जिले के बामड़ा, कुचिंडा के साथ झारसुगुड़ा जिले के कोलेबिरा, किरमिरा, लाइकेरा, सुंदरगढ़ जिले के सदर, कुतरा व बणई व बरगढ़ जिले में मिर्च की खेती होती है, जिसे सीधे बामड़ा मंडी लाया जाता है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, झारखंड के रांची, डालटनगंज, बिहार के भागलपुर व ओडिशा के राउरकेला में बामड़ा मिर्च की जबरदस्त मांग है। करीब 20 हजार टन सालाना बामड़ा मिर्च की पैदावार इन इलाकों में होती है। किसान जोसेफ डुंगडुंग कहते हैं कि कृषि से समृद्धि की अनूठी मिसाल है बामड़ा।
इसका नाम आते ही सबसे पहले जहन में उतरता है यहां का मिर्च। आकार में छोटे, लेकिन बेहद तीखे मिर्च का सालाना 10 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। मिर्च की खेती कर यहां के किसानों ने जीवन में समृद्धि लाई है।