राउरकेला तहसील का कारनामा : 97 डिसमिल जंगल जमीन को घरबाड़ी में तब्दील कर दिया पट्टा
राउरकेला तहसील अंतर्गत पानपोष पोस्टमार्टम हाउस के पास 20 करोड़ की सरकारी जमीन का पट्टा तहसील कार्यालय के सेवानिवृत्त कर्मचारी के नाम करने के मामले में फंसे पूर्व तहसीलदार मानस रंजन साहू का एक और कारनामा सामने आया है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : राउरकेला तहसील अंतर्गत पानपोष पोस्टमार्टम हाउस के पास 20 करोड़ की सरकारी जमीन का पट्टा तहसील कार्यालय के सेवानिवृत्त कर्मचारी के नाम करने के मामले में फंसे पूर्व तहसीलदार मानस रंजन साहू का एक और कारनामा सामने आया है। उदितनगर एसपी कार्यालय के पास जंगल किस्म की जमीन को घरबाड़ी किस्म की जमीन में तब्दील कर इसका पट्टा प्रदान किया गया था। इसकी जानकारी मिलने के बाद मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए डीएफओ कार्यालय से तहसीलदार को पत्र लिखा गया है।
राउरकेला डीएफओ ने तहसीलदार को लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि शहर के व्यवसायी जीएस अग्रवाल ने टाउन यूनिट-43 मौजा खाता संख्या 365-648 में प्लाट नंबर 266, 267, 268, 269, 271 में कुल 97 डिसमिल जंगल जमीन पर अवैध कब्जा किया था। इस जमीन को सरकारी खाते में लौटाने के लिए तहसीलदार चंद्रकांत मल्लिक के द्वारा अवैध कब्जा करने वाले के खिलाफ मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया, इस पर सवाल पूछा गया है। सूत्रों के अनुसार राउरकेला यूनिट-43 के 75नंबर खाता की 5 एकड़ 70 डिसमिल जंगल किस्म की जमीन को भी कई लोगों के नाम कर दिया गया है जिसकी कीमत करीब 65 करोड़ रुपये होगी। जीएस अग्रवाल के नाम की गई 97 डिसमिल जमीन अब सरकारी खाते में वापस कर ली गई है इसके बावजूद उस जमीन पर कब्जा है। इस जमीन पर बने भवन में एक पूर्व तहसीलदार का कार्पोरेट कार्यालय भी चल रहा है। तहसीलदार चंद्रकांत मल्लिक की ओर से कहा गया है कि अवैध कब्जा को लेकर जीएस अग्रवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। इसके लिए जिलापाल से भी अपील की जाएगी। जंगल किस्म की 4 एकड़ 50 डिसमिल जमीन का पट्टा 20 उद्योगपति व व्यापारियों के नाम पर किए जाने का मामला भी सामने आया है। खाता संख्या 71, 74, 75 पर 30 डिसमिल जमीन, प्लाट संख्या 271 में पांच डिसमिल एवं प्लॉट नंबर 41 से 22 डिसमिल जमीन की किस्म बदल कर पट्टा तीन बड़े व्यवसायियों के नाम किया गया एवं बिल्डरों को आठ करोड़ में बेचा जा रहा था। इसके लिए 50 लाख रुपये अग्रिम भी लिया गया था। बिल्डर ने इसकी जांच कराई। इस जमीन के लिए ऋण नहीं मिलने के कारण अग्रिम राशि मांगे जाने पर कारोबारी इसे वापस नहीं कर रहे हैं जिससे यह भी अलग विवाद बना है।